Rajasthan Siyasi Scan: सीकर (Sikar) जिले से महज 30-35 किमी दूरी पर है स्थित है लक्ष्मणगढ़ (Laxmangarh ) तहसील. इसे पिछले कई वर्षों से कांग्रेस (Congress) ने अपना गढ़ बना लिया है. इस सीट से लगातार कांग्रेस चुनाव जीत रही है. लेकिन, रोचक बात है कि इस सीट पर बीजेपी (BJP) लगातार चुनाव हार रही है. चाहे राम मंदिर की लहर रही हो या मोदी लहर. बीजेपी यहां से चुनाव में लगातार हार का स्वाद चख रही है.


विधायक को बनाया प्रदेश अध्यक्ष
इस बाद के चुनाव में कांग्रेस इसे हमेशा के लिए अपनी सीट बनाये रखने के लिए बड़ा दांव खेल दिया है. लक्ष्मणगढ़ के विधायक गोविंद सिंह डोटासरा को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया और सीकर जिले को संभाग घोषित कर दिया. इन कार्यों से कांग्रेस ने एक बड़ा सन्देश देने का प्रयास किया है. 


कांग्रेस ने खेला मास्टर स्ट्रोक
यहां के जानकारों का कहना है कि यह कांग्रेस के लिए बड़ा मास्टर स्ट्रोक हो सकता है. क्योंकि, यहां पर 2008 में गोविंद सिंह डोटासरा ने मात्र 34 वोट से चुनाव जीता था. इसके बाद से लगातार यहां पर कांग्रेस अपनी बढ़त बनाये हुए है. वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में डोटासरा ने 20 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीता. 


बीजेपी किसी लहर में नहीं हुई सफल 
सीकर लोकसभा सीट पर लगातार दो बार से बीजेपी चुनाव जीत रही है. लेकिन, यहां की लक्ष्मणगढ़ विधानसभा सीट पर मजबूत नहीं हो पा रही है. राम मंदिर की लहर हो या पीएम मोदी की लहर हो, हर बार बीजेपी चुनाव हार जा रही है. लक्ष्मणगढ़ निवासी शशिकांत जोशी का कहना है कि यहाँ पर दिनेश जोशी ने पिछले चुनाव में जीतेन का माहौल बनाया था, लेकिन बीजेपी का ब्राह्मण प्रत्याशी देखकर जाट वोटर्स ने कांग्रेस पर मुहर लगा दी. इससे एक बार फिर कांग्रेस को जीत मिल गई.


क्या है यहां का समीकरण? 
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,53,869 मतदाता हैं. इनमें 1,30,928 पुरुष मतदाता और 1,22,941 महिला मतदाता हैं. यहां पर व्यक्ति को लोग सपोर्ट करते हैं. पार्टी बहुत मायने नहीं रख पा रही है. जातिगत समीकरण एक साथ फिट नहीं बैठता है. 


बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा, इस बार जीतेंगे 
सीकर जिले की बीजेपी अध्यक्ष इंद्रा चौधरी गठाला का कहना है कि कांग्रेस पुरानी पार्टी है और बीजेपी नई पार्टी है. थोड़ा समय लगता है, लेकिन इस बार हम चुनाव जीत जाएंगे. 


2008 में बदल गई सीट 
लक्ष्मणगढ़ विधान सभा सीट परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में सामान्य हो गई. इसके पहले यह सीट आरक्षित थी. वर्ष 2003 में बीजेपी से केसर देव ने यहां पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद से बीजेपी चुनाव हार रही है. इस सीट पर कमल मुरझाया हुआ है.


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