Rajasthan Political Story: बात साल 2018 की है. राजस्थान में होने वाला था विधानसभा का चुनाव. उस दौरान कई दिग्गज नेता पूर्व विधायक या पूर्व सांसद हो चुके थे. क्योंकि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और 2014 के लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला था. इससे कांग्रेस में एक तरह से राजनीतिक निराशा थी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के तौर सचिन पायलट काम कर रहे थे. लेकिन साल 2018 के उपचुनाव में कांग्रेस को दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर जीत मिल गई थी.
इस जीत से प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और उनकी पार्टी में एक उत्साह बन चुका था. उस जीत से पार्टी को ऊर्जा मिल रही थी. कार्यकर्ताओं में बेहद उत्साह भी दिखता था. इन सबके बीच वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी उस समय किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. क्योंकि, राजस्थान कांग्रेस में उन्हें एक बड़ा चेहरा माना जाता रहा है. कभी सीएम की दौड़ में आगे थे, इसलिए उनका एक बयान पूर्वी राजस्थान से आया कि 2018 का विधानसभा चुनाव तो सचिन पायलट के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बस यहीं से सियासी माहौल में बदलाव आ गया था. हालांकि, उन्होंने सीएम फेस पर अपनी कोई राय नहीं दी थी.
इतना बड़ा बदलाव कैसे?
उस दौरान डॉ. सीपी जोशी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हुआ करते थे. उन्होंने जब यह कह दिया था कि पायलट को चुनाव लड़ाने के लिए फ्री हैंड दिया जाएगा और चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला पार्टी आलाकमान करेगा. इस बयान के बाद राजनीति में बड़ा उलटफेर होने की संभावना दिखने लगी थी. दरअसल, अजमेर संभाग के मेरा बूथ मेरा गौरव सम्मेलन में शामिल होने जोशी गए थे. वहां पर सचिन पायलट, अविनाश पांडेय और मोहन प्रकाश भी मौजूद थे. राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुटों के बीच चल रही खींचतान के दौरान जोशी के उस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले गए थे. कैसे सब कुछ बदल गया. उस दौरान सब कुछ बदलाव जैसा दिख रहा था.
आखिर क्यों खेला गया था ये दांव?
सीपी जोशी के उस बयान से पहले यहां लोग कहते थे कि पायलट, गहलोत और जोशी की आपस में नहीं पटती लेकिन बीजेपी को हराने के लिए सब एक दिख रहे हैं. उस दौरान सम्मेलन में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे, मोहन प्रकाश और सचिन पायलट ने कहा कि आगामी आम चुनाव में राहुल गांधी देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे. बाद में 2019 लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था.
जोशी ने जब लिखा पत्र?
राजस्थान की राजनीती में एक दिन फिर ऐसा भी आया कि जब सत्ता में आने के बाद जोशी पूरी तरह पायलट से दूर हो चुके थे. पायलट गुट के बगावती तेवर के बाद जोशी ने एक्शन भी लेना शुरू कर दिया. 15 जुलाई 2020 को स्पीकर सीपी जोशी की ओर से नोटिस दिया गया कि मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कई विधायकों की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की याचिका दी है. जो रजिस्टर हो गई है. सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक को बताया गया था कि इस याचिका पर तीन दिन के अंदर टिप्पणी देना है नहीं तो कार्रवाई होगी. हालांकि बाद में जोशी और पायलट के मुलाकात की कई तसवीरें भी सामने आई, लेकिन इन दोनों ही नेताओं के रिश्तों में पहले जैसे गरमाहट अब कम ही देखने को मिलती है.
इन विधायकों का था नाम
नोटिस सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआरमीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया को नोटिस भेजा गया था. इसके अलावा हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत को नोटिस भेजने की बात सामने आई थी. कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए मुख्य सचेतक महेश जोशी ने व्हिप जारी किया था. इन विधायकों पर व्हिप का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था.
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