Jodhpur Solar Project: राजस्थान (Rajasthan) में जोधपुर सोलर प्रोजेक्ट के लिए पेड़ काटकर जमीन में दबाना एक सोलर कंपनी को भारी पड़ गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने सोलर प्लांट लगाने के लिए ढाई सौ पेड़ों को काटने के मामले में यह फैसला सुनाया है. अब कंपनी को ढाई हजार पेड़ लगाने होंगे. इसके अलावा 2 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. इससे पहले एनजीटी ने जोधपुर जिले में एक प्राइवेट सोलर कंपनी एएमपी एनर्जी ग्रीन फोर प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारियों ने 250 खेजड़ी और रोहिड़ा के पेड़ काट दिए थे और मामला छुपाने के लिए इन पेड़ों को जमीन में गाड़ दिया था.

 

खेजड़ी के पेड़ को देवता की तरह पूजने वाले बिश्नोई समाज ने इसे लेकर आंदोलन छेड़ दिया. अब एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायाधीश आदर्श कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई करने के मामले में दोषी करार दिया. यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें एनजीटी ने सोलर कंपनी को पेड़ काटने के लिए दोषी करार दिया है. जोधपुर में बड़ी संख्या में सोलर प्लांट स्थापित हो चुके हैं और कई प्लांट स्थापित हो रहे हैं. यह कंपनी की ओर से खेजड़ी के पेड़ों को काटकर जमीन में दफना दिया गया था, लेकिन बिश्नोई समाज ने जमीन में दफन इन पेड़ों को ढूंढ निकाला था.

 

बिश्नोई समाज ने किया था भूख हड़ताल

इस साल 10 जून को फलोदी उपखंड के बड़ी सिड्ड गांव में एनर्जी ग्रीन फोर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सोलर प्लांट के लिए बड़ी संख्या में खेजड़ी के पेड़ों को काट दिया था. इसके बाद कंपनी ने इसे जमीन में दफना दिया था. इसकी जानकारी बिश्नोई समाज के लोगों को मिलने पर वे चार दिन में जमीन में दफन पेड़ों के अवशेष लेकर आ गए. फिर बिश्नोई समाज धरने पर बैठ गया और कार्रवाई की मांग करने लगा. पेड़ों को बचाने के लिए 15 जून से करीब 5 दिन से ज्यादा भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन हुआ. मामला बढ़ने लगा तो जिला प्रशासन ने मामले की जांच का आश्वासन दिया था.

 


 

खेजड़ी के 10 हजार पेड़ों को काटने का लगा ओराप

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की ओर से आरोप लगाया गया था कि सोलर प्लांट लगाने के लिए खेजड़ी के लगभग 10 हजार पेड़ों को काटा गया है. उन्होंने मांग की थी कि सरकार की तरफ से भविष्य में खेजड़ी नहीं काटने, काटे गए पेड़ों की जगह 10 गुना पेड़ लगाने, सोलर प्लांट के 30 फीसदी भाग को ग्रीन जोन में विकसित करने, पेड़ काटने के दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई और पेड़ काटने में मिलीभगत करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाए. इसके बाद एनजीटी में याचिका दायर कर दी. एनजीटी ने प्रदूषण निवारण मंडल को एक कमेटी बना कर पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सोलर कंपनी को दोषी करार दिया था.

 

एक महीने के भीतर देने होंगे एक लाख रुपये

रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ने सोलर प्लांट लगाने के लिए 3200 बीघा जमीन लीज पर ली. इस जमीन से 250 पेड़ काट दिए गए. इस पर अपने आदेश में एनजीटी ने कहा कि एएमपी कंपनी वन विभाग की तरफ से बताई गई जमीन पर काटे गए पेड़ों से दस गुना ज्यादा पेड़ फिर से लगाए. साथ ही संबंधित विभाग में दो लाख रुपये जमा करवाए. इस राशि का उपयोग फॉरेस्ट के डेवलपमेंट के लिए किया जाए. कंपनी को आदेश दिया गया है कि पर्यावरण के नुकसान की भरपाई करने के लिए वह एक महीने के भीतर एक लाख रुपये कलेक्टर के पास जमा करवाए. इस राशि का उपयोग जिले के पर्यावरण प्लान के अनुसार किया जाए. यदि कंपनी यह राशि जमा नहीं कराती है, तो कलेक्टर नियमानुसार यह राशि वसूल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपना सकते हैं.