Udaipur Old Couple Mariage: उदयपुर में अभी हर जगह शादी की शहनाइयां गूंज रही हैं, जिसमें अलग-अलग रस्मों-रिवाजों से शादी सम्पन्न हो रही है और फिर गृहस्थ जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. लेकिन कभी आपने ऐसा देखा या सुना कि किसी दूल्हा-दुल्हन की शादी में उनके बेटे-बेटी ही नहीं पोते-पोती और नवासे शामिल हुए हो. राजस्थान के उदयपुर जिले के कोटड़ा तहसील में ऐसी ही शादी सम्पन्न हुई है. यहां वृद्ध और वृद्धा 60 साल साथ रहने या आजकल की भाषा मे कहें तो लिव इन रहे और फिर शादी रचाई है.


20 बेटे-बेटी, पोता-पोती और नवासा-नवासी शादी में हुए शामिल


उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील के गऊपीपला में यह शादी शुक्रवार को हुई. शादी की इस अनूठी बारात में दूल्हा 80 साल का जिसके 9 बेटे-बेटियों सहित 20 पोता-पोती, नवासा-नवासी शामिल हुए. यह विवाह गऊपीपला निवासी सकमा पुत्र धुलिया पारगी का हुआ, जो गुजरात के गुण भाखरी से दुल्हन मठु को ब्याह कर लाए. हालांकि सकमा के साथ दुल्हन मठु पिछले 60 साल से रही थीं लेकिन शादी की रस्में अब अदा की गई.


सकमा पारगी के काना, बसु, राकेश, चंदू, पिंटु, भूलाराम, मणि, सुमी व मेवा नौ बेटे-बेटियां हैं. इसके अलावा सकमा व मठु के 20 पोते-पोतियां हैं. पूरे परिवार के साथ सकमा की बारात ढोल-डीजे की थाप पर गुजरात के गुण भाखरी गांव पहुंची. वहां सकमा ने मठु के साथ सात फेरे लेकर शादी की रस्में अदा की.


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शादी की यह है प्रथा


उदयपुर जिले के कोटड़ा, झाड़ोल, पाली, बाली, सिरोही सहित गुजरात में आदिवासियों में सदियों से दापा प्रथा है. इसी प्रथा से युवक-युवती आपस में सहमति से साथ रहते हैं. इसके बाद युवक, युवती के पक्ष को कुछ राशि देता है, जिसे दापा कहते हैं. इस राशि का फैसला सामजिक स्तर पर किया जाता है. उसके बाद दोनों साथ रहने लगते हैं और बाद में सहूलियत के अनुसार शादी के करते हैं. इससे पहले भी इन्हीं क्षेत्रों में ऐसी शादियां हो चुकी है.


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