राजस्थान में अब नहीं होगी पशुओं के लिए चारे और पानी की कमी, राज्य सरकार ने उठाया ये नया कदम
राजस्थान की दूर गांव और ढाणियों में टैंकर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है. पशुओं के चारे की निर्बाध आपूर्ति हो इसके लिए भी राज्य सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं.
आग उगलती इस गर्मी को देखते हुए राजस्थान (Rajasthan) सरकार ने अब पशुओं की सुध लेना शुरू कर दिया है जिसके चलते राज्य सरकार (Rajasthan government) अब राज्य में चारा डिपो और पशुओं के लिए पानी का पुख्ता इंतजाम करेगी. यह बात आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने बीकानेर में कही. दरअसल भीषण गर्मी और सूखे की आशंका को देखते हुए राजस्थान सरकार ने राज्य के पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया है.
व्यवस्था की जा रही-मंत्री
राजस्थान की दूर गांव और ढाणियों में टैंकर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है. पशुओं के चारे की निर्बाध आपूर्ति हो इसके लिए भी राज्य सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. मंत्री मेघवाल ने कहा है कि सरकार की इच्छा है कि अंतिम छोर तक बैठे हुए व्यक्ति को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित हो. राज्य के पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा रही है. यह करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.
टीमें रवाना की गईं-मंत्री
मंत्री मेघवाल ने कहा है कि अन्य जिलों में चारे की निर्बाध आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए गृह विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं. पशुओं के चारे की उपलब्धता और मूल्य सुनिश्चित करने के लिए जानकारी ली जा रही है. इसके लिए मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में टीमें रवाना कर दी गईं हैं. प्रबंधन एवं सहायता विभाग द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए शिविर और चारा डिपो सुनिश्चित करने के लिए आदेश 10 जनवरी को ही जारी कर दिए गए हैं.
आदेश जारी किए गए
जिसके चलते अब तक जैसलमेर में 738, बाड़मेर में 283, जोधपुर में 3, पाली में 2 सहित कुल मिलाकर 1029 पशु शिविर स्वीकृत कर दिए गए हैं. चारा डिपो की बात की जाए तो बाड़मेर में 49, बीकानेर में 44, पाली में 66 और जोधपुर में 39 सहित कुल मिलाकर 198 चारा डिपो स्वीकृत कर दिए गए हैं. पशुओं के चारे की कालाबाजारी ना हो इसके लिए जिला कलेक्टरों को विभाग द्वारा आदेश जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा है गया कि गौशाला के अलावा किसी भी चारा व्यापारी के पास 100 मिट्रिक टन से अधिक चारा का भंडारण ना हो सके.