Student Election in Rajasthan: राजस्थान में इस बार छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे. शनिवार (12 अगस्त) को कुलपतियों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है. इसके पीछे कारण लिंगदोह कमेटी की नियमों की पालना नहीं होना और शिक्षा नीति को बेहतर ढ़ंग से लागू नहीं करना बताया गया है. इस फैसले के बाद से छात्र नेताओं में गुस्सा और निराशा का माहौल है. निराशा इसलिए कि कॉलेज सेशन शुरू होने के बाद से ही छात्र नेता राजनीतिक जीवन के पहली पारी शुरुआत के लिए जोरशोर से तैयारी कर रहे थे.


छात्र संघ के चुनावों के लिए यह तक सुनिश्चित हो गया था कि किस पद के लिए कौन चुनाव लड़ेगा. छात्र संघ अध्यक्ष पद के प्रत्याशी समीर मेघवाल ने बताया कि चुनाव तो होने ही चाहिए क्योंकि हम चारों के लिए राजनीति की यही पहली सीढ़ी है. इससे ही छात्र नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय होता है. वर्ष 2018 से इनरोल हूं, तब से मैं चुनाव की तैयारी का रहा हूं. उन्होंने कहा कि इस बार मेरी डीएसआर टीम ने मौका दिया और कहा की चुनाव लड़ो, लेकिन निरस्त हो गए. 


सरकार का ये फैसला गलत- समीर मेघवाल


समीर मेघवाल ने कहा कि वे पूरे साल एक्टिव रहे, अभी हाल में छात्रों की मांगों को लेकर 49 घंटे तक भूख हड़ताल की. फिर भी हम तो यहीं खड़े हैं और छात्रों की मदद कर रहे हैं लेकिन सरकार का यह फैसला गलत है. एबीवीपी के विश्व विद्यालय इकाई अध्यक्ष रौनक राज सिंह शक्तावत बताते हैं कि लिंगदोह कमेटी की पालन को लेकर यह चुनाव निरस्त हुए हैं. लिंगदोह का पालन करवाना यूनिवर्सिटी का काम है ना की सरकार का. उन्होंने कहा कि अगर कोई छात्र नेता पालन नहीं करता है तो यूनिवर्सिटी एक्शन ले सकती है. 


बीजेपी-कांग्रेस दोनों नहीं चाहती चुनाव हो- एबीवीपी


रौनका राज सिंह शक्तावत ने कहा कि सीएम ने अपने निजी हित के लिए लाखों विद्यार्थियों का नुकसान किया है. उन्हें पता है की विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. अभी छात्र संघ में एनएसयूआई का सूपड़ा साफ न हो जाए इसलिए चुनाव ही बंद कर दिए. उन्होंने इसका आरोप प्रदेश की दोनों सियासी जमातों के सिर मढ़ते हुए कहा कि, 'बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही नहीं चाहती हैं कि छात्र संघ का चुनाव हो. उन्हें पता है कि युवा राजनीति में आ गया तो उनको घर बैठना पड़ जायेगा. उन्होंने कहा कि वो युवाओं को कॉलेज तक ही सीमित रखने का प्रयास कर रहे हैं.