Rajasthan News: सावधान! क्या बिना बताये आप भी करते हैं किसी का कॉल रिकॉर्ड? जानिये क्या कहता है कानून
Rajasthan: बिना बताये कॉल रिकॉर्डिंग करना कानूनी अपराध है. कॉल रिकॉर्डिंग अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. जानिये इसे लेकर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
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Rajasthan News: आज के डिजिटल युग में हर आदमी का सब कुछ एक मोबाइल में कैद हो गया है या यूं समझिए कि उसका पूरा संसार ही मोबाइल बन चुका है. आमतौर में देखा गया है कि लोग मोबाइल पर बात करने से कतराते हैं. क्योंकि उनको डर रहता है कि वह बात कर रहे हैं अगला उनकी कॉल रिकॉर्डिंग तो नहीं कर रहा. आजकल बाजार में मिलने वाले सभी मोबाइल फोन में यह फीचर आता है. मोबाइल में इनबिल्ट ऑटो कॉल रिकॉर्डिंग के ऑप्शन होते हैं जिसके कारण अगले व्यक्ति को पता ही नहीं चलता कि उसने जो बोला है वह सब कुछ रिकॉर्ड हो गया है.
ऐसे कई मामले भी सामने आये हैं जहां उस ऑडियो रिकॉर्डिंग का मिस यूज किया जाता है. आज आपको इससे जुड़े कानून के बारे में बताने जा रहे हैं. अगर कोई भी आपकी कॉल रिकॉर्डिंग करता है तो वह कानूनन अपराध है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भारत सरकार, गृह मंत्रालय के साथ संलग्न एक कार्यालय है. जिसमे बताया गया कि कॉल रिकॉडिंग अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. उस पर आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं.
कॉल रिकॉर्डिंग निजता का उल्लंघन
अगर कोई आपके फोन कॉल को रिकॉर्ड करता है तो आप उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकते है. क्योंकि बगैर अनुमति किसी की कॉल रिकॉर्ड करना कानूनी अपराध है. ऐसा करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत दिए गए निजता के मूल अधिकार के उल्लंघन की श्रेणी में आता है. कुछ विशेष मामलों में कॉल रिकॉर्डिंग अपराध नहीं माना गया है. ऐसा उन स्थितियों में है, जहां यदि सार्वजनिक आपात अथवा लोकसुरक्षा के लिए कॉल रिकॉर्ड किया जाना आवश्यक हो. ऐसी स्थिति में इसे अपराध नहीं माना गया है लेकिन ऐसा करने के लिए सक्षम संस्था की अनुमति आवश्यक है.
सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार में सीधा हस्तक्षेप
निजता का अधिकार संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में सम्मिलित है. इस संबंध मे पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज वर्सेस यूनियन आफ इंडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीफोन टेप करने को व्यक्ति के निजता के अधिकार में सीधा हस्तक्षेप करार दिया था.
रचाला एम भुवनेश्वरी Vs नाफंदर रचाला के मामले में पति की ओर से दायर विवाह विच्छेद याचिका में पति ने कोर्ट में पत्नी की उसके माता-पिता और दोस्त की बातचीत से संबंधित कॉल रिकॉर्डिंग पेश की थी. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत इसे पत्नी की निजता के अधिकार का उल्लंघन माना.
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