Rajasthan Maharana Bhupal Hospital Surgery: कई शहरों और गांवों में आपने चाकूबाजी की घटनाएं देखी होंगी या फिर इस तरह की खबरें सुनी होंगी. ये भी देखा या सुना होगा कि दिल पर वार होने से लोगों की जान तक चली गई. लेकिन राजस्थान (Rajasthan) के राजकीय हॉस्पिटल में संभवतया पहली बार ऐसा ऑपेरशन (Operation) हुआ है जिसमें दिल में घाव होने के बाद भी युवक की जान बच गई. ये जटिल ऑपेरशन उदयपुर (Udaipur) के महाराणा भूपाल चिकित्सालय (Maharana Bhupal Hospital) के डॉक्टरों की टीम ने किया है. 3 घंटे चले इस ऑपेरशन में 2 बार दिल (Heart) धड़कना बंद भी हो गया था फिर भी डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और सर्जरी सफल रही.


कैसे किया गया ऑपेरशन
ऑपेरशन को लीड करने वाले कार्डियो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ विनय नैथाणी ने बताया कि युवक के दिल में चाकू 3 इंच गहरा धंस गया, साथ में 6 सेंटीमीटर चौड़ा घाव भी हो गया था. चाकू छाती में ही धंसा होने से घाव ज्यादा नहीं फैला और ब्लडिंग भी रुकी हुई थी. समस्या ये थी कि अगर चाकू को बाहर निकालते तो अंदर से बेहिसाब खून बहने के आसार थे. ऐसे में डॉक्टरों ने क्लेमशेल (सीप) की तरह छाती के नीचे वाले हिस्से को करीब डेढ़ फीट तक चीरकर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. अमूमन हार्ट सर्जरी में न्यूनतम 4-5 सेंटीमीटर और अधिकतम पूरे स्टरनम (उरोस्थि या छाती के सामने की हड्डी) को 9 इंच (पौन फीट) चीरा जाता है. छाती सीप की तरह खुली तो हार्ट और इसमें धंसा चाकू दिखने लगा. चाकू निकालने के साथ दिल की स्टिचिंग की तो 2 बार धड़कन बंद हो गई. इस दौरान तुरंत इंटरनल मसाज देकर हार्ट को वापस एक्टिव किया गया. ऑपरेशन करीब ढाई घंटे तक चला और युवक जिंदा है. दावा है कि राजस्थान के सरकारी अस्पताल में इस तरह की सर्जरी का ये पहला मामला है.


हुई थी ये घटना
घायल युवक लकी राजसमन्द जिले के नाथद्वारा का रहने वाला है. राह चलते लकी का कुछ युवकों के साथ झगड़ा हो गया था. झगड़ा बढ़ा तो सामने वाले युवक ने चाकू से सीने पर वार कर दिया. इस बात लकी को शुक्रवार रात को महाराणा भूपाल चिकित्सालय लाया गया. स्टरनम में धंसे चाकू ने हार्ट चैंबर के राइट बेट्रिकल (दाहिने हिस्से) को छेद डाला था. फिलहाल सर्जरी के बाद अब लकी स्वस्थ है और पहले की तरह खा-पी रहा है.


इस टीम ने किया ऑपेरशन
हॉस्पिटल के सुपर स्पेशियलिटी विंग के अधीक्षक डॉ विपिन माथुर ने बताया कि कार्डियो एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में ये दुर्लभ ऑपरेशन था. ऐसी हालत में इमरजेंसी तक पहुंचने के बाद भी अधिकांश रोगी दम तोड़ देते हैं. सर्जरी करने वाली टीम में डॉ विनय नैथाणी, डॉ साहिल, डॉ हर्प, डॉ शुभम, एनेस्थीसिया एचओडी डॉ देवेंद्र वर्मा के साथ डॉ विक्रम, डॉ सीपी शर्मा, डॉ प्रमिला और डॉ आशा थे.


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