Rajasthan News: इस बदलते आधुनिक युग में आम जनजीवन पर डिजिटलाइजेशन का खास प्रभाव है. डिजिटलाइजेशन की वजह से अब साइबर ठग भी दिन प्रतिदिन हाईटेक होते जा रहे हैं. साइबर ठग हर दिन नए-नए तरीकों से ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में इन दिनों साइबर ठगी का एक नया तरीका "डिजिटल अरेस्ट" सामने आया है.


जानकारी के अनुसार, जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में डिजिटल अरेस्ट के दो बड़े मामले सामने आए हैं. डिजिटल अरेस्ट क्या होता है और कैसे साइबर ठग आपको डिजिटल अरेस्ट करते हैं? साथ ही इससे कैसे बचा जा सकता है, यह सब जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव ने विस्तार से बताया है.


डिजिटल अरेस्ट में ठग लोगों को एआई (AI) जनरेट वॉइस या वीडियो कॉल कर खुद को पुलिस अधिकारी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का अधिकारी या कस्टम अधिकारी होने का दावा करते हैं. इसके लिए साइबर ठग नकली पुलिस स्टेशन, नकली सरकारी कार्यालय स्थापित करते हैं और नकली वर्दी पहनकर ठगी को अंजाम देने का काम करते हैं.


जोधपुर में सामने आए दो मामले
इसमें पीड़ित को इतना डराया धमकाया जाता है कि वह अपनी गिरफ्तारी के डर से अपने आप को एक बंद कमरे में सबसे अलग ले जाता है. डिजिटल अरेस्ट के दौरान पीड़ित को पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का डर बताकर वीडियो कॉल की निगरानी में रखा जाता है. जोधपुर के महामंदिर पुलिस थानाधिकारी ने बताया कि एक ऐसा ही मामला जोधपुर में सामने आया है. 


यहां अंकित देवड़ा नाम के शख्स ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसके साथ 19 अगस्त को 25 लाख रुपये ठगी हुई है. उसने बताया कि उसके अकाउंट में 5 लाख 90 हजार रुपये थे और उसने कोई लोन नहीं लिया था, लेकिन ICICI बैंक से उसके नाम से लोन हो गया. इसके बाद फोन करके मुझे डराया धमकाया गया और मुझे एक कमरे में अकेला रहने को कहा गया. पहले तो आरोपी फोन पर मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी बन कर बात करता रहा, उसके बाद मुझे कहा कि एक लिंक डाउनलोड करो और वीडियो कॉल पर कनेक्ट हो जाओ. 


वहीं जोधपुर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर को इसी तरह से साइबर ठगों ने 12 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा. इसी दौरान साइबर ठगों ने उसके साथ 12 लाख रुपये की ठगी की. ठगों ने कहा कि पढ़ाई को लेकर गड़बड़ी हुई है, जिसको लेकर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है, इसकी जांच जारी है. जोधपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया कि साइबर ठग लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए कई हथकंडे आजमाते हैं. 


इस तरह से फंसाते हैं ठग
उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो साइबर ठग पीड़ित से कहते हैं कि आपने किसी ड्रग बुकिंग के मामले में आपका आधार कार्ड नंबर और पैन नंबर का इस्तेमाल हुआ है. इसके बाद लोगों से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर पूछताछ करने के लिए वीडियो कॉल पर बात करने को कहते हैं. अधिकतर मामलों में साइबर ठग अपना एक पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप बनाकर पुलिस की वर्दी पहने बैठे दिखते हैं, जिससे लोगों को सब कुछ असली लगता है. 


डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
साइबर ठग लोगों को धमकी देते हैं कि अगर उन्होंने जांच के दौरान अपने परिवार या दोस्तों को इसके बारे में बताया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. इस तरह साइबर अपराधी डिजिटल स्पाई पर वीडियो कॉल के जरिये लोगों को घंटों तक हिरासत में रखते हैं.


धर्मेंद्र यादव ने बताया कि आम नागरिकों को डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जब भी आपको अनजान नंबर से ऐसे कॉल या मैसेज आए, तो तुरंत इसकी सूचना संबंधित अधिकारी या निकटतम पुलिस थाने को दें. 


उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसी भी इंसान के पास पुलिस का कॉल आता है, तो आदमी डर जाता है कि उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. किसी भी व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज किया जा चुका है, तो उसको पुलिस के द्वारा पूछताछ के लिए कॉल किया जा सकता है ना कि इस तरह से डराया धमकाया जाएगा. पुलिस कभी फोन करके आपके अकाउंट की डिटेल नहीं लेती है. जब आपने कुछ किया ही नहीं है, तो डरने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में सीधा आप पुलिस की मदद लें या फिर ऐसे कॉल को रिसीव भी न करें.




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