Sariska Tiger Shifting: राजस्थान (Rajasthan) में सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) के रणथंबोर वन अभ्यारण (Ranthambore Forest Sanctuary) से एक और बाघ (Tiger) टी 113 को रविवार रात को सड़क मार्ग से अलवर (Alwar) के सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) लाया गया. यहां बाघ को सवा बारह बजे सरिस्का के तालवृक्ष रेंज (Talvriksh Range) में छोड़ा दिया गया. अब यहां बाघों का कुनबा बढ़कर 25 हो गया है. इस तरह दीपावली (Deepawali) से पहले सरिस्का को एक नए बाघ के रूप में उपहार मिला है.
सरिस्का वन अभ्यारण्य में चार साल बाद रणथंबोर से टी 113 बाघ को रविवार रात को यहां लाया गया, जिसे यहां नया नाम टी 29 दिया जाएगा. रणथंबोर वन अभ्यारण से सरिस्का में यह दसवीं शिफ्टिंग है. इससे पहले पांच बाघिन और चार बाघों को शिफ्ट किया जा चुका है. रणथंबोर के युवा बाघ टी 113 रविवार दोपहर को जोन 5 में तालड़ा वन रेंज से ट्रैंक्यूलाइज करने के बाद सरिस्का के लिए रवाना किया गया, जो सड़क मार्ग से करीब सात घंटे बाद रात करीब सवा बारह बजे यहां पहुंचा. बाघ को तालवृक्ष रेंज के पानी की ढाल वन क्षेत्र में बनाए गए एनक्लोजर में छोड़ा गया.
पिता बन चुका है बाघ
बाघ की उम्र करीब 5 साल बताई जा रही है. यह रणथंबोर की बाघिन टी 19 कृष्णा का बच्चा है, जो एक बार पिता बन चुका है. इस बाघ के शिफ्ट होने के बाद अब सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ कर 25 हो गया है. इसमें 8 नर बाघ ,13 बाघिन और 4 शावक है. इससे पहले 2019 में रणथंबोर से बाघ टी 75 को यहां शिफ्ट किया गया था, जिसे यहां एसटी 16 नाम दिया गया था. रणथंबोर तालड़ा वन रेंज में दोपहर करीब साढ़े तीन बजे बाघ टी 113 को ट्रैंक्यूलाइज किया गया. यहां बाघ को रेडियो कॉलर लगाने के बाद शाम करीब 5 बजे सड़क मार्ग के जरिए बाघ को सरिस्का के लिए रवाना किया गया.
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बाघों की वंश में होगी बढ़ोतरी
इस दौरान एनटीसीए और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू के प्रतिनिधि, रणथंबोर के सीसीएफ सेडूराम यादव, सरिस्का वन क्षेत्र निदेशक आर एन मीणा, रणथंबोर डीएफओ संग्राम सिंह, डीएफओ आरटीवीआर संजीव शर्मा, एसीएफ मानस सिंह, जयपुर वन्य जीव डीएफओ सागर पंवार और-तीन चिकित्सकों की टीम मौजूद रही. सरिस्का डीएफओ देवेंद्र जगावत ने बताया अब सरिस्का में बाघों के कुनबा 25 हो गया है. इस युवा बाघ के आने के बाद सरिस्का में और बाघों की वंश वृद्धि में फायदा होगा, जितने ज्यादा बाघ-बाघिन होते हैं. पर्यटकों को उतनी ही ज्यादा साइटिंग होती है.
शिकारियों ने कर दिया था बाघों का सफाया
गौरतलब है 2004-05 में सरिस्का से शिकारियों ने बाघों को सफाया कर दिया था. उस दौरान करीब 35 बाघ-बाघिन हुआ करते थे. बाघों के शिकार हो जाने से सरिस्का वीरान हो गया था, जिसके बाद यहां से पर्यटकों ने मूंह मोड़ लिया था, तब सरिस्का को फिर आबाद करने के लिए 2008 में देश मे अभिनव प्रयोग करते हुए रणथंबोर से ट्रैंक्यूलाइज कर हेलीकॉप्टर से यहां एक बाघ को शिफ्ट किया गया. इस सफल प्रयोग के बाद यह सिलसिला निरंतर चलता रहा, जिससे सरिस्का फिर गुलजार हुआ है.