Bal Vahini News: राजस्थान में बाल वाहिनी की दुर्घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य पुलिस की यातायात शाखा द्वारा राज्य में 25 फरवरी तक विशेष अभियान चलाकर बाल वाहिनियों की गंभीरता पूर्वक जांच कराने के निर्देश जारी किए गए हैं. निर्देशों की अवहेलना पाए जाने पर भारी जुर्माना और वाहन जब्ती की कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा गुरुवार को समस्त जिला एसपी एवं डीसीपी को निर्देश दिए गए हैं.


राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी ), यातायात वीके सिंह ने बताया कि छात्र छात्राओं को सुरक्षित, सुविधाजनक एवं सुलभ वाहन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दृष्टि से बाल वाहिनी योजना के अंतर्गत आने वाले वाहनों के लिए शर्तों एवं कर्तव्यों के निर्धारण के साथ संयोजक समिति का गठन भी किया गया है.


एडीजी ने बताया कि परिवहन विभाग राजस्थान सरकार द्वारा इस संबंध में वर्ष 2017 में एक विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. जिसमें बाल वाहिनियों के चालक, स्कूल प्रशासन, बच्चों के माता-पिता एवं प्रवर्तन एजेंसी यातायात पुलिस व आरटीओ के लिए आवश्यक निर्देश हैं. प्रवर्तन एजेंसियां बच्चों की सुरक्षा के लिए समय-समय पर अभियान चलाकर बाल वाहिनियों की जांच करती रही हैं. इसी क्रम में पुलिस विभाग समस्त राज्य में 25 फरवरी 2022 तक 1 सप्ताह का विशेष अभियान चलाकर तमाम बाल वाहिनियों की गंभीरता पूर्वक जांच कर रही है.


जानें क्या हैं नियम


1. बाल वाहिनी पीले रंग की होनी चाहिए, चालक वर्दी में रहे.
2. उस पर बाल वाहिनी या विद्यालय के उपयोग संबंधी सूचना लिखी होनी चाहिए.
3. वाहन पर विद्यालय का नाम, टेलीफोन नंबर तथा चालक का नाम लिखा हो.  
4. वाहन के दरवाजों पर लॉक और ऑटो में ड्राइवर साइड वाली ग्रिल मजबूत होनी चाहिए.
5. बाल वाहिनी की अधिकतम स्पीड 40 किलोमीटर हो.
6. वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स एवं पानी की व्यवस्था हो.
7. वाहनों में बच्चों की संख्या निर्धारित हो.
8. बाल वाहिनी में घरेलू गैस का उपयोग ना हो. 


 शिक्षण संस्थाओं के लिए क्या हैं नियम?


1. संस्था प्रमुख सड़क सुरक्षा क्लब के माध्यम से नियमों का सख्ती से पालन करवाएं.
2. शिक्षण संस्थान में बच्चों को निर्धारित स्थान से वाहन में चढ़ाने में उतारने की व्यवस्था.
3. चढ़ाने व उतारने के निर्धारित स्थान एवं स्कूल के बाहर सीसीटीवी की व्यवस्था
4. बाल वाहन चालक को विशेष फोटोयुक्त आई कार्ड दिए जाएं.
5. समय-समय पर वाहन चालकों के रिफ्रेशर कोर्स व आंखों की जांच हो.
     
एडीजी सिंह ने बताया कि यह बच्चों के अभिभावकों का भी कर्तव्य है कि वह सुरक्षा मापदंडों को पूरा करने वाले वाहनों में ही अपने बच्चों को विद्यालय भेजें.


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