Rajasthan News: राजस्थान के कोटा (Kota) मेडिकल कॉलेज के एमबीएस हॉस्पिटल में एंडोवास्कुलर स्टेंट असीस्टेड कोइलिंग (Endovascular Stent Assisted Coiling) से हाड़ौती में पहली बार इलाज हुआ है. इससे एक ही दिन में दो एन्यूरिज्म के मरीजों का इलाज किया गया. न्यूरो सर्जन और विभागाध्यक्ष न्यूरो सर्जरी विभाग डॉ. एसएन गौतम ने बताया कि पहले यह सुविधा महानगरों तक ही सीमित थी और राजस्थान में भी सरकारी क्षेत्र में ही उपलब्ध थी, लेकिन अब एमबीएस हॉस्पिटल में लगातार इस तरह के मरीजों की जांच और इलाज किया जा रहा है.
डॉ. एसएन गौतम ने आगे कहा कि एन्यूरिज्म रक्त वाहिका (आर्टरी) में एक उभार है, जो रक्त वाहिका की दीवार में कमजोरी के कारण होता है. आमतौर पर जहां इसकी शाखाएं होती हैं, वहां जैसे ही रक्त कमजोर रक्त वाहिका से होकर गुजरता है, रक्तचाप एक छोटे से क्षेत्र को गुब्बारे की तरह बाहर की ओर उभारने के कारण बनता है. डॉ. गौतम ने बताया कि इसके उपचार के रूप में एन्यूरिज्म को ओपन सर्जरी करके क्लिप किया जा सकता है और एंडोवास्कुलर इंटरवेंशन द्वारा कोइलिंग किया जा सकता है.
एंडोवास्कुलर कोइलिंग कब होता है
एंडोवास्कुलर कोइलिंग आमतौर पर बेहोशी के तहत किया जाता है. इस प्रक्रिया में पैर की धमनी से कैथेटर नामक एक पतली ट्यूब रक्त वाहिकाओं के नेटवर्क के माध्यम से सिर तक और अंत में एन्यूरिज्म में पहुंचाई जाती है. डॉ. गौतम ने बताया कि छोटे प्लैटिनम कॉइल्स को ट्यूब के माध्यम से एन्यूरिज्म में भर दिया जाता है. इसके बाद रक्त, उसमें प्रवेश नहीं कर सकता है. ऑपरेशन न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा किया गया. ऑपरेशन में काम आने वाले उपकरणों की व्यवस्था एमबीएस के अधीक्षक डॉ. धर्मराज मीणा ने करवाया.
दो मरीजों का हुआ सफल ऑपरेशन
डॉ. गौतम ने बताया कि कैलाश बाई (70 वर्षीय महिला) जो कि प्रेम नगर कोटा की निवासी हैं. वह एक महीने पहले सिर में दर्द और उल्टी होने के बाद बेहोशी की हालात में एमबीएस हॉस्पिटल में 5 अक्टूबर को भर्ती हुई थी. उनकी जांच करवाने पर दिमाग में हेमरेज होना और साथ ही दिमाग में पानी की मात्रा का बढ़ना (हाइड्रोसेफेलस) पाया गया, जिसका वीपी शंट द्वारा 6 अक्टूबर 23 को तुरंत इलाज किया गया. मरीज की हालत में सुधार आने के बाद डीएसए की जांच करवाई गई, जिसमें उनके दिमाग की मुख्य धमनी इंटरनल केरोटिड आर्टरी में एक बड़े एन्यूरिज्म का होना पाया गया, जिसकी नेक ज्यादा ही चौड़ी थी.
इसके बाद नई तकनीक एंडोवास्क्यूलर इंटरवेन्शन के द्वारा मरीज का स्टेंट असीस्टेड कोइलिंग द्वारा उपचार किया गया, जिसमें पहले आर्टरी में स्टेंट डाला गया फिर एन्यूरिज्म को कॉइल द्वारा बंद किया गया. मरीज अभी पूरी तरह से ठीक हैं और उनका इलाज भी नि:शुल्क हुआ, जबकि इस इलाज के लिए मरीज को जयपुर या दिल्ली जैसी जगहों पर जाना पड़ता है और खर्च भी लगभग सात से आठ लाख रुपए का आता है. वहीं दूसरे मरीज के रूप में कान्ति बाई (52 वर्षीय महिला) जो कि सुल्तानपुर कोटा की निवासी है. उनका भी ऑपरेशन किया गया. इनको भी इसी तरह की समस्या थी.
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