Tribal Artists in Jodhpur: किसी भी देश की कला (Art) और संस्कृति (Culture) उसकी अमूल्य पहचान होती है. इस कला को सहेजने और इसकी रक्षा करने वाले लोग भी बेहद खास होते हैं. कुछ इसी तरह भारतीय लोककला को सहेजने और उसे जीवंत रखने का कार्य करने वाले देशभर के लोक कलाकारों (Folk Artists) की टोलियां इन दिनों राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) में हैं. कलाकारों की ये टोलियां यहां के लोगों को अपनी अपनी संस्कृति से रूबरू करा रही हैं. अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग संस्कृति देखकर जोधपुर के लोग भी खासे उत्साहित हैं. इस तरह के आयोजन लोक कलाकारों और आम लोगों के बीच कड़ी का काम करते हैं.
लोक कलाकारों का दिखा जलवा
जोधपुर सांझ की साझेदारी में आदिवासी लोक कलाकारों ने इतिहास रच दिया है. उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से सोमवार की शाम इस लोक नृत्य संध्या का समापन समारोह हुआ. संध्या में तीनों दिन 14 राज्यों के आदिवासी लोक कलाकारों ने अपनी नृत्य कला का जादू बिखेरा.
250 कलाकारों ने लिया हिस्सा
जोधपुर सांझ में करीब 250 कलाकारों में छत्तीसगढ़ का गौर मारिया, त्रिपुरा का होजागिरी, ओडिसा का गौर, मध्य प्रदेश का गुडुमबाजा, हिमाचल के नाटी, गुजरात का डांगी, राजस्थान का गरासिया, उत्तराखंड का जौनसारी, तेलंगाना का लम्बाड़ी, महाराष्ट्र का सोंगी मुखोटे, लद्दाख का फ्लावर, जम्मू-कश्मीर के गोजरी और सिक्किम के तमांग शैलो नृत्यों ने अविस्मरणीय छाप छोड़ी.
खास रहा कार्यक्रम
कार्यक्रम के आरंभ में अकादमी सचिव अनिल कुमार जैन और पटियाला के सचिव जगजीत सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती कमलेश शर्मा ने कोरियोग्राफी की. अकादमी के रमेश कंदोई और अरुण पुरोहित ने कार्यक्रम का संयोजन किया. संचालन प्रमोद सिंघल और बिनाका जैश ने किया.
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