Annakoot Mahotsav 2023: राजस्थान में एक ऐसा मंदिर जहां आदिवासी लूट ले जाते हैं भगवान का भोग, अनोखी है 350 साल पुरानी परंपरा
Mewar News: नाथद्वारा में अन्नकूट लूट की यह परंपरा 350 साल पुरानी है. क्षेत्र के आदिवासी मंदिर में सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं और प्रसाद और चावल को लूट कर अपने घर जाते हैं.
Rajasthan News: दीपावली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया, लेकिन राजस्थान के मेवाड़ की परंपराओं के अनुसार यहां दीपावली त्योहार का रंग अभी भी दिखाई दे रहा है. देशभर में प्रसिद्ध मेवाड़ के कृष्णधाम श्रीनाथ जी में रात को परंपरा के अनुसार बड़ी संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने मंदिर से अन्नकूट लूटा. वहीं उदयपुर शहर स्थित प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में 1200 किलो शक्कर से बनी कई मिठाइयों के प्रसाद का वितरण आज होगा. यह दोनों ही परंपरा कई सालों से चली आ रही हैं.
350 साल पुरानी है अन्नकूट लूट की परंपरा
राजसमंद के नाथद्वारा स्थित अन्नकूट लूट की यह परंपरा 350 साल पुरानी है. अन्नकूट क्षेत्र के आदिवासी मंदिर में सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं और प्रसाद और चावल को लूट कर अपनी झोली में डालते हैं और घर जाते हैं. खास बात यह है कि इस समय मंदिर के द्वार सिर्फ आदिवासियों के लिए ही खोले जाते हैं. माना जाता है कि आदिवासी इस अन्नकूट को लूटकर अपने घर जाते हैं और अपनी तिजोरी अन्य जगहों पर रखते हैं, इससे पूरे साल इनके घर में अन्न की कमी नहीं होती. अन्नकूट को मटकी, झोली सहित अन्य तरीके से आदिवासी ले जाते हैं.
महालक्ष्मी मंदिर में 1200 किलो शक्कर से बना प्रसाद
वहीं उदयपुर के प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में मंगलवार को अन्नकूट महोत्सव हुआ. इसमें 1200 किलो शक्कर और 30 किलो घी से प्रसाद बनाया गया. प्रसाद के बनाने का कार्यक्रम दीपावली के पहले से शुरू हो जाता है. तीन दिन तक विशेष पूजा पाठ होता है और दीपावली के बाद अन्नकूट होता है. इसमें चढ़ाए गए प्रसाद का वितरण भी पांच दिन तक होता है. प्रसाद वितरण आज से शुरू हो जाएगा जो पांच दिन तक चलेगा. प्रसाद का वितरण सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होता रहेगा. हर साल प्रसाद को लेने स्थानीय और पर्यटन सैकड़ों की संख्या में पहुंचते हैं.