Udaipur News: झीलों की नगरी उदयपुर को प्रकृति और यहां के महाराणाओं ने बहुत कुछ दिया है. प्रदेश का सबसे बड़ा जंगल और पहाड़ यहां है. इतना ही नहीं यहां झील और महल भी है. यहां से मात्र 20 किलोमीटर दूर बाघदड़ा नेचर पार्क भी है. यह सामान्य पार्क नहीं है, यह मुख्य रूप से मगरमच्छों के लिए जाना जाता है. अब यहां के वन्यजीवों के लिए खुशखबरी यह आई है. केंद्र सरकार ने इस नेचर पार्क को रिजर्व कंजर्वेशन घोषित कर दिया है.
इससे इस क्षेत्र को काफी फायदा होने वाला है.अब इस नेचर पार्क को राज्य से तो फंड मिलेगा ही साथ में केंद्र से भी बजट मिलेगा. साथ ही मगरमच्छों का बेहतर आवास विकसित हो पाएगा. सीसीएफ आरके खेरवा ने बताया कि यहां 20 से ज्यादा मगरमछ सहित अन्य वन्यजीव है. क्रोकोडाइल कंजर्वेशन घोषित होने से यहां विकास के तो काम होंगे साथ ही मानवीय गतिविधियों पर रोक लग जाएगी.
पर्यटकों के लिए ये है सुविधा
पर्यटक यहां मगरमच्छों करीब से देख सकते हैं. कहा जाता है कि यह मगरमच्छ कई सालों से यहीं है. इन्हें कहीं से लाया नहीं गया है. यहां पर्यटक घने जंगल मे आराम से घूम सकते हैं. यहीं नहीं पर्यटकों को घर जैसा अहसास दिलाने के लिए यहां 5 टेंट लगे हुए हैं. जिसमें खाने-पीने की व्यवस्था है. इसके अलावा कैंप फायर, पेड़ों पर लगे आरामदायक झुले हैं. साथ ही जंगल का दृश्य देखने के लिए पेड़ों पर मचान लगाए गए हैं. वहीं तालाब के चारों तरफ पांच व्यू पॉइंट हैं. यही नहीं पर्यटकों के लिए 10 किलोमीटर का ट्रेक भी बना है. जिसके रास्ते में तेंदुए सहित अन्य वन्यजीव विचरण करते हुए दिखाई देते हैं.
ये वन्यजीव है वन्यजीव यहां
इस नेचर पार्क में मगरमच्छ, तेंदुआ, नीलगाय, नेवला, काली पूंछ का नेवला, बिज्जू, अजगर, तारा कछुआ, खरगोश, सरीसृप, मोर, उल्लू, गिदड़, लंगूर, बटेर और तीतर सहित कई वन्यजीव हैं. इसके साथ ही यहां कई प्रकार के पक्षी भी हैं. यहां एंडिमेक पक्षी व्हाइट-पेप्पड़ टिट आसानी से देखे जा सकते हैं.
इतना बड़ा है पार्क
यह नेचर पार्क 342.19 हैक्टेयर एरिया में फैला हुआ है. साल 2002 तक यहां पर अवैध गतिविधियां होती थीं. जिसे वन विभाग ने न सिर्फ बंद कराया, बल्कि इस पार्क को संवार दिया है. शुरुआत में यहां पर मात्र 3000 स्थानीय पर्यटक आते थे, लेकिन साल 2014 के बाद नाइट टूरिज्म के साथ अन्य सुविधाएं शुरु करने के बाद अब यहां हर साल 40000 से ज्यादा पर्यटक आ रहे हैं.