Rajasthan Udaipur Bavji Temple: एक तरफ जहां इंसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए जंगलों से पेड़ (Tree) काटे जा रहे हैं वहीं ग्रामीणों ने पेडों को ही भगवान मान लिया है. यहां मंदिर (Temple) तो क्या गांव के घरों के आसपास लगे पेड़ों को भी लोग नहीं काटते हैं. फिर चाहे भवन निर्माण के समय निर्माण कार्य पेड़ों के अनुसार ही क्यों ना करना पड़े. इसे मान्यता कहें या पेड़ों को बचाने का संकल्प, उदयपुर (Udaipur) शहर से 45 किलोमीटर दूर बड़गांव तहसील के मारूवास गांव में ऐसा ही देखने को मिलता हैं. गांव में आनणा जी बावजी का मंदिर (Bavji Temple) है. यहां देवता का आदेश लिए बिना लोग पेड़ तो क्या पेड़ की टहनी तक नहीं काटते हैं. यही कारण है कि, बावजी के मंदिर का निर्माण भी पेडों को बचाते हुए किया गया है.


मंदिर की ये है मान्यता
गांव के ही मानसिंह ने बताया कि ''आनणा जी बावजी का मंदिर काफी प्राचीन है. मान्यता कब शुरू हुई ये तो जानकारी नहीं, लेकिन दशकों पहले से हमारे पूर्वज बताते आए हैं कि यहां पेड़ काटने से घर में कुछ बुरा होता है. इसलिए, जब मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो बावजी से पूछा गया था कि बड़ और महुए के विशाल पेड़ सहित अन्य छोटे पेड़ काटने हैं, इस पर बावजी ने मना कर दिया. इसके बाद पेड़ों को नहीं काटा और उनके अनुसार ही निर्माण कराया गया. इसी प्रकार गांव में भी कोई अपने घर का निर्माण कराना चाहता है और कोई पेड़ बीच में आता है तो बावजी की अनुमति के बिना पेड़ नहीं काटते हैं.''


सूख चुके पेड़ भी लोग नहीं काटते हैं लोग
मानसिंह ने ये भी बताया कि मान्यता है कि गांव में किसी को भी जहरीला जीव काट जाता है जैसे सांप, बिच्छू या अन्य तो घायल व्यक्ति को इसी मंदिर में लाया जाता है. यहां से 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग ठीक होकर अपने घर लौटे हैं. उन्होंने बताया कि हरा-भरा तो दूर सूख चुके पेड़ भी लोग नहीं काटते हैं. 4 साल पहले एक महुए के पेड़ पर बिजली गिरी थी जिससे वो पूरा जल चुका था. उसे काटने के लिए अनुमति मांगी तो नहीं मिली. 4 साल बाद वर्तमान में वो पेड़ हरा-भरा हो गया है और लोगों को छांव दे रहा है.


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