Rajasthan Udaipur Iqbal Sakka Constitution in Poetry: आज देशभर में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था. देश के इतिहास में पहली बार उदयपुर (Udaipur) के स्वर्ण शिल्पकार इकबाल सक्का (Iqbal Sakka) ने दुनिया के सबसे लंबे भारतीय संविधान (Indian Constitution) की विशेषताओं को गजल और शायरियों में लिखा है. खास बात ये है कि, उन्होंने इन शायरियों को संविधान की प्रति के रूप में भी उकेरा है. इकबाल सक्का ने अपनी कला और कौशल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, विश्व विख्यात संविधान के गौरव को सम्मान देने के लिए उन्होंने संविधान की विशेषताओं को गजल के रूप में लिखने का प्रयास किया है.
120 पृष्ठों में लिखी संविधान की विशेषताएं
सक्का के अनुसार संविधान की गजलमयी विशेषताओं को चर्मपत्र पर 120 पृष्ठों में 615 शायरियों के माध्यम से शब्दों में चित्रित किया गया है. इसके प्रथम पृष्ठ पर शीर्षक ‘संविधान-ए-गजल’ को चांदी के अक्षरों में लिखा है. उन्होंने बताया कि भारतीय मूल संविधान की तर्ज पर इस संविधान की गजल पुस्तिका का प्रत्येक पृष्ठ 58.4 सेमी ऊंचा व 47.7 सेमी चौड़ा है तथा वजन 13 किलो है. इसे मूल संविधान की तरह ही काली स्याही में लिखा गया है. सक्का ने इसे विश्व का पहला व सबसे लंबा चर्मपत्र पर हस्तलिखित संविधान-ए-गजल होने का दावा किया है.
इस तरह लिखी हैं शायरियां
स्वर्ण शिल्पकार सक्का ने मूल संविधान में लिखी इबारतों के मंतव्य का समावेश करते हुए गजल रूप में शायरियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है. ये शायरियां कुछ इस तरह हैं.
इब्तिदा करता हूं मैं, पढ़कर संविधान हमारा.
लिख रहा हूं मैं गजल में, संविधान हमारा.
हर धर्म व मजहब को, लगाने गले सिखाता.
प्रकृति पर्यावरण की हिफाजत का संविधान हमारा.
दख़ल अन्दाजी न होगी लेखनी-ए-कलम पर.
आज़ाद रही कलम आज़ादी का संविधान हमारा.
प्यासा न रहे कोई भूखा न सोए कोई कभी.
सरकार को देता हुक्म संविधान हमारा.
चरीन्दे हो या परिंदे रखा सबका ख्याल.
कुछ नहीं रखता कसर ऐसा संविधान हमारा.
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