Rajasthan News: सनातनी चातुर्मास में संतों का मेला, 10 साल से हाथ ऊपर कर तपस्या करने वाले साधु भी पहुंचे, बताई साधना के पीछे की वजह
Udaipur News: उदयपुर में सनातनी चातुर्मास में शामिल होने आए एक तपस्वी साधु को देख हर कोई हैरान है. काशीगिरी महाराज ने बताया कि तप पूरा होने के बाद हाथ को नीचे लाने में डेढ़ से दो साल लगेंगे.
Udaipur News: झीलों की नगरी के लिए प्रसिद्ध उदयपुर के प्राचीन बड़बड़ेश्वर महादेव मन्दिर में सनातनी चातुर्मास चल रहा है. देशभर से इसमें शामिल होने के पहुंचे साधु संत अलग-अलग प्रकार की तपस्या में लीन रहते हैं. इसमें सैकड़ों साधु संत का समागम हुआ है. इसमें एक ऐसे तपस्वी साधु भी यहां आए हैं जो पिछले 10 साल से एक हाथ ऊपर रखने की तपस्या में लीन हैं. इस दौरान उन्होंने इस तपस्या के बार में हैरान करने वाले बातें बताई. बातचीत के दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों के जरिए बार-बार उठाए जा रहे सनातन मुद्दे पर बात की.
राजस्थान के राजसमन्द के रहने वाले काशीगिरि महाराज हाथ ऊपर करने वाली साधना में लीन हैं. उन्होंने इस तपस्या के बारे में बताया कि इसे ऊर्ध्व बहु तप करते हैं. जिसके बार में दत्त महाराज की पुष्पांजलि में भी जिक्र किया गया है. इस तपस्या के दौरान तपस्वी को शरीर के किसी एक अंग को भगवान को समर्पण करना होता है. उन्होंने कहा कि संत होने के नाते तपस्या करना हमारा फर्ज है. अब 10 साल से ज्यादा हो गए हैं और 12 साल तक यह तप चलता रहेगा. कोई मनोकामना नहीं है. काशीगिरि महाराज ने कहा कि एक ही लक्ष्य है, भगवान को प्राप्त करना है. इस योनि में भगवान को प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, तो अगली योनि में नर्क हमारा इंतजार कर रहा है.
'सनातन पर राजनीति करने वाले मूर्ख'
ऊर्ध्व बहु तप पूरा होने पर काशीगिरी महाराज ने आगे बताया कि तप पूरा होने के बाद हाथ को नीचे लाने में डेढ़ से दो साल लगेंगे. राजनीतिक में सनातन की बाते करने वाले नेताओं को उन्होंने मुर्ख बताया. काशीगिरि महाराज ने कहा वह मूर्ख लोग होते हैं अपनी राजनीति चलाने के लिए बोलते हैं. सनातन के नाम पर देश को बांट रहे हैं. उन्हें मालूम नहीं है कि सिर्फ हिन्दू होना ही सनातन नहीं है. सनातन में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई के साथ सभी धर्म शामिल हैं. कोई रामायण के बारे में बोलता है. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि आजकल तो प्रधानमंत्री को भी पनौती बताने लगे हैं. ऐसी भाषाओं का प्रयोग करने लगे हैं कि इनका क्या भविष्य होगा?
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