Rajasthan News: उदयपुर में एसपी का छलका दर्द, कोर्ट को लिखे मार्मिक पत्र में बताई आपबीती
राजस्थान के उदयपुर जिला एसपी विकास शर्मा ने सेशन कोर्ट के न्यायाधीश को एक मार्मिक पत्र लिखा है. अपने दो पेज के इस पत्र में एसपी ने वह सभी काम लिखे हैं जो एक पुलिसकर्मी करता है.
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Rajasthan News: उदयपुर पुलिस जिसका नाम सामने आती ही भले ही कुछ लोगों के मन में नकारात्मकता सामने आती है. लेकिन जितने काम वो करती है, उतना शायद ही किसी प्रोफेशन में होगा. यह बात राजस्थान के उदयपुर जिला एसपी विकास शर्मा ने एक पत्र के जरिये बताई है. यह पत्र किसी अधिकारी को नहीं बल्कि जिले के ही सेशन कोर्ट के न्यायाधीश को लिखा गया है. इसके के पीछे निवेदन करते हुए कोर्ट को कारण बताया कि पुलिसकर्मी कोर्ट में आते है तो सुबह से शाम हो जाती है. इसलिए उनको प्राथमिकता दी जाए. जिससे वह ड्यूटी के कार्य कर सके. दो पेज के इस पत्र में एसपी ने वह सभी कार्य लिखे जो एक पुलिसकर्मी करता है. आइए जानते हैं एसपी में अपनी पुलिस के क्या काम बताए हैं और कोर्ट से क्या निवेदन किया है.
एसपी विकास शर्मा ने यह लिखा सेशन न्यायाधीश को पत्र
एसपी ने लिखा, निवेदन है कि पुलिसकर्मी न्यायालयों में शहादत, मुल्जिम की पेशी, न्यायालय द्वारा तलब किये जाने, और अन्य राजकार्य को लेकर भी कोर्ट में उपस्थित रहते हैं. कई न्यायालयों द्वारा पुलिसकार्मियों को पूरे दिन न्यायालय में रोका जाता है. उनसे संबंधित कार्य सबसे अन्त में किया जाता है. जिससे पुलिसकर्मी पूरे दिन व्यस्त रहता है. उन्होंने पत्र में लिखा मैं न्यायालय का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि एक सभ्य समाज को व्यवस्था से चलाने में पुलिस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है. उसकी प्राथमिकता कानून-व्यवस्था को कायम रखना है. कानून-व्यवस्था से तात्पर्य केवल धरना प्रदर्शन, रैली, लड़ाई झगड़ा ही नहीं है. बल्की समाज में सभी काम सुचारू रूप से बिना किसी व्यवधान के चलें. ये देखना भी पुलिस का कर्तव्य है.
पुलिस ड्यूटी के लिये कोई समय भी निश्चित नहीं
इसके लिए रोज पुलिस को बडी मात्रा में अपनी उपस्थिति आमजन के बीच रखनी होती हैं. उसको काफी परिश्रम करना पडता है. जिसमें आसूचनाओं का संकलन करना, बीट क्षेत्र में भ्रमण करना, चैकिंग करना, अभियान चलाना, आपराधिक तत्वों के विरूद्ध कार्रवाई करना, किसी भी समय अपराधियों पर दबिश देने जैसे कई काम शामिल हैं. कानून व्यवस्था कायम रखना पुलिस के लिये सबसे बड़ा लक्ष्य है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पुलिस की 24 घंटे आमजन में उपस्थित रहना पड़ता है. पुलिस ड्यूटी के लिये कोई समय भी निश्चित नहीं है, क्योंकि पुलिस की कभी भी कहीं भी आवश्यकता पड़ सकती है.
पुलिस को करने होते हैं कई काम
पुलिस के पास मेले, नाकाबन्दी, सुबह शाम गश्त, वी.आई.पी., बी.वी.आई.पी. मूवमेन्ट के दौरान सुरक्षा करना, निगरानी करना, एस्कोर्ट, तामीली कार्य जैसे कामों की जिम्मेदारी होती है. इसके साथ -साथ विभिन्न कानूनों का पालना कराना, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन, अतिक्रमण के दौरान सुरक्षा की भी जिम्मेदारी पुलिस की ही होती है. इतना ही नहीं आमजन की सुविधाओं हेतु चरित्र सत्यापन, पासपोर्ट सत्यापन, अनुसंधानिक कार्य, न्यायालय आदेशों के पालना कराना भी पुलिस का जिम्मा है. इसके साथ ही आम नागरिकों की सुरक्षा, नवाचार, विभिन्न धर्मों के कार्यक्रम के दौरान पुलिस बल उपलब्ध कराना, सुरक्षा सखी, पुलिस मित्र, सी.एल.जी. स्पेशल टास्क कार्य, हथियार लाईसेन्स, विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन कराना भी पुलिस का काम है. साथ ही प्रशिक्षण, बालश्रम को रोकना, परिवाद जांच, विभागीय जांच, यातायात संचालन व नियंत्रण, पुलिस भर्ती, वरिष्ठ नागरिकों के योजनाओं का संचालन, फायरिंग, बीट क्षेत्र के सामान्य कार्य, आसूचना संकलन इत्यादि अनगिनत कार्य सम्पादन जैसे अनेक कामों का जिम्मा भी पुलिस पर है. जिसके चलते पुलिस वाले अपने जीवन का अधिकांश समय ड्यूटी और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ही निकाल देते हैं. इस कारण कई बार पुलिसकर्मियों को अपने परिवार के बीच रहने का भी अवसर प्राप्त नहीं होता है.
इसके अलावा पुलिस के अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी हैं. जिसमें अपराध का खुलासा करना और अपराध पर नियंत्रण करना शामिल है. इसके लिये अपराधियों की जानकारी लेकर उनकी धरपकड़ कर उनके अपराध को उजागर करने और किसी भी अपराध को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ती हैं. आज के आधुनिक समय में अपराध के तरीके आधुनिक हो गए हैं. इसलिए अपराधों को उजागर करने के लिये पुलिस को भी आधुनिक कार्य योजना अपनानी पड़ती हैं. अपराधों पर नियंत्रण व अपराधों को उजागर करना भी पुलिस के लिये बहुत बडा लक्ष्य है. जिसमें कई बार समय लगता है और लम्बे समय तक कार्य करना पड़ता है.
पुलिस से आमजन की अपेक्षाएं ज्यादा
पुलिस से आमजन की अपेक्षाएं ज्यादा हैं. इस कारण पुलिस पर काम का भार भी ज्यादा है. इस कारण कई बार असाधारण परिस्थितियों में पुलिस द्वारा चार-पांच दिन बिना विश्राम निरन्तर कार्य किया जाता है. जबकि एक साधारण व्यक्ति द्वारा 8 से 10 घण्टों तक ही कार्य किया जा जाता है. पुलिसकर्मी भी एक साधारण इंसान हैं. ऐसे में उसकी भी कार्य करने की क्षमता निश्चित है. ऐसे में यदि पुलिस पर काम का बोझ निरन्तर रहेगा तो पुलिसकर्मियों की कार्य प्रणाली प्रभावित होगी. उसके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना बनी रहेगी. जिसकी वजह से कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होने की दशा में वह अपनी क्षमता का 100 प्रतिक्षत नहीं दे पाएंगे. जिससे कानून-व्यवस्था पर नियंत्रण करने की क्षमता भी प्रभावित होगी. जो पुलिस, आमजन और न्यायालय सभी के लिए उचित नहीं होगी.
न्यायालय से अनुरोध है कि जब भी पुलिस कर्मी न्यायालयों में शहादत, मुल्जिम पेशी, न्यायालय द्वारा तलब किए जाने और अन्य राजकार्य से न्यायालयों में उपस्थित होंगे, तो उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्हें पहले सुना जाना चाहिए. उनसे जुड़ा काम खत्म होने के पश्चात उन्हें तुरन्त रवाना कर दिया जाए. ताकि पुलिस कर्मी न्यायालय के कार्य के पश्चात अपने जिम्मे के अन्य काम कर सके. न्यायालय से अनुरोध है कि उपरोक्त संबंध में आपके अधीनस्थ न्यायालयों को आदेशित करने की कृपा करें. एबीपी से बात करते हुए एसपी विकास शर्मा ने बताया कि रूटीन प्रक्रिया के तहत न्यायाधीश को पत्र लिखा है. जिससे कुछ समाधान हो सके.
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