Rajasthan के इस विश्वविद्यालय ने राख से बनाया सीमेंट का सब्स्टीट्यूट, आम लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा
Udaipur News: गन्ने से रस निकालने के बाद जो वेस्ट बचता है उसे जला दिया जाता है. इससे जो राख बनती है वो किसी काम में नहीं आती है. इसी राख को सीमेंट में मिलाकर निर्माण सामग्री बनाई गई है.
Maharana Pratap University of Agriculture and Technology: बढ़ती आबादी के कारण शहरों में लगातार बड़ी संख्या में निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इन निर्माण कार्यों में सबसे उपयोगी वस्तु कंक्रीट है जो दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है. लोगों को आशियाने की जरूरत है लेकिन महंगाई से भी जूझना पड़ रहा है. ऐसी समय में उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Maharana Pratap University of Agriculture and Technology) के सिविल डिपार्टमेंट ने ऐसी वस्तु का अविष्कार किया है जिससे आशियाने और मजबूत बनेंगे और इनकी लागत भी कम हो जाएगी. बड़ी बात ये है कि इस रिसर्च को केंद्र से पेटेंट भी मिल चुका है. अब इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का तरीका तलाशा जा रहा है.
लगा 3 साल का वक्त
सिविल विभाग के हेड प्रोफेसर त्रिलोक गुप्ता ने बताया कि विभाग में लगातार कुछ का कुछ रिसर्च किए जाते हैं ताकि लोगों को रिसर्च से फायदा मिल सके. जितना निर्माण कार्य बढ़ रहा है उतना ही कंक्रीट का उत्पादन हो रहा है. इनके बनने से जो गैस निकलती है उससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. साथ ही बढ़ती कीमतों से लोग भी परेशान हैं. इन दोनों बातों की ध्यान में रख ये रिसर्च की, इस रिसर्च को करने में करीब 3 साल लग गए.
गन्ने से बनाया सीमेंट का सब्स्टीट्यूट
प्रोफेसर त्रिलोक गुप्ता ने बताया कि देश में भारी मात्रा में शक्कर बनाई जाती है जो गन्ने से बनती है. गन्ने से रस निकालने के बाद जो वेस्ट बचता है कंपनियों उन्हें जला देती हैं जिससे राख बन जाती है. वो राख किसी काम में नहीं आती है. इसी राख को सीमेंट में मिलाकर निर्माण सामग्री बनाई गई है. पहले सीमेंट में 30 प्रतिशत, फिर 20 और अंतिम में 10 प्रतिशत राख मिलाई गई. सफलता लगभग सभी में मिली और निर्माण सामग्री अच्छी और मजबूत बनी. लेकिन 10 प्रतिशत के स्तर पर ही पेटेंट फाइल किया और मिल भी गया.
आम आदमी को ऐसे होगा फायदा
प्रोफेसर गुप्ता ने बताया कि माना कि किसी सामान्य निर्माण कार्य में 1000 सीमेंट के बैग की जरूरत है और प्रति बैग 100 रुपए का है. 10 प्रतिशत के अनुसार 100 कट्टे गन्नों की राख का उपयोग किया जाए तो 30 हजार रुपए तक फायदा होगा.
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