राजस्थान यूनिवर्सिटी में गड़बड़झाला! प्रोफेसर ने खेला लाखों रुपये का 'खेल', ऑडिट जांच में चौंकाने वाला खुलासा
Rajasthan University News: राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने रिसर्च प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों रुपये का खेल खेल किया है, जिससे विश्वविद्यालय को बड़ा बड़ा नुकसान हुआ है.
Rajasthan University News: राजस्थान विवि इन दिनों चर्चाओं में है. जहां वाइस चांसलर प्रो. अल्पना ने वर्षों बाद नैक विजिट की पूरी तैयारी करवा दी है, वहीं, एक प्रोफेसर ने रिसर्च प्रोजेक्ट के नाम पर लाखों रुपये का खेल खेल दिया है. यह मामला तब सामने आया है जब उस कार्यक्रम की ऑडिट हुई. जिसमें कुल 15 लाख रुपये की गलत तरीके से हेराफेरी की कहानी सामने आई है. रोचक बात यह है कि इस कॉन्फ्रेंस में मनमानी तरीके से शॉल और साड़ियां बांट दी गई थी जबकि उस पैसे से रिसर्च प्रोजेक्ट होना था.
यह कार्यक्रम जयपुर में 3-4 मार्च 2023 को हुआ था. जानकारी के अनुसार उस दौरान के रजिस्ट्रार ने कॉन्फ्रेंस में किये खर्च की फाइल को एसीबी में जांच के लिए अनुशंसा की थी. खर्च किये गए रुपये के बिल नहीं लगाए गए थे. प्रो. निमाली सिंह उस कॉन्फ्रेंस की ऑर्गनाजिंग सेक्रेटरी थीं. हालांकि, उस दौरान की होम साइंस की विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता अग्रवाल ने कहा था कि उस कॉन्फ्रेंस में हुए मिस मैनेजमेंट की मैं हिस्सा नहीं थी. कार्यक्रम की पूरी तैयारी आयोजक निमाली सिंह के हाथ में थी. उन्हें कार्यक्रम की अनुमति वीसी राजीव जैन ने दी थी.
क्या है पूरी कहानी ?
रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) 2.0 के तहत होम साइंस विभाग को नवंबर 2021 में 1.83 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला था.'असेसमेंट ऑफ फूड सेफ्टी थ्रू टेस्टिंग, स्क्रीनिंग लेबल्स एंड प्रोफाइलिंग फूड न्यूट्रीशनलीटी' का यह प्रोजेक्ट दिसम्बर 2024 में खत्म हो जाएगा. प्रोफेसर द्वारा खेले गए इस खेल से यह प्रोजेक्ट अब फंस गया है. विवि का बड़ा नुकसान हो गया है. जब तक वीसी राजीव जैन थे, तब तक इस मामले पर कुछ नहीं हुआ. अब जब ऑडिट कराई गई तो कहानी पलट गई है. अब अगर इस प्रोजेक्ट का पैसा खर्च नहीं हुआ तो पूरा बजट लैप्स हो जाएगा.
इन प्रमुख बिंदुओं से समझिए गड़बड़झाला
दरअसल, यह जो लाखों रुपये का गड़बड़झाला हुआ है उसे इन बिंदुओं से समझा जा सकता है. विवि ने प्रोजेक्ट के लिए विभागीय स्तर पर विभागाध्यक्ष को ही प्रिक्योरमेंट कमेटी का पदेन संयोजक नियुक्त किया था. मगर, प्रो निमाली सिंह ने विभागध्यक्ष के स्थान पर डीन विज्ञान संकाय को क्रय समिति में शामिल कर दिया.
इसके साथ ही निमाली सिंह ने विभागाध्यक्ष को दरकिनार करते हुए जो प्रिक्योरमेंट कमेटी के पदेन सदस्य नहीं थे. उन पांच शिक्षकों को बैठक में शामिल करके मिनट्स तैयार किया गया. इसी तरह से लाखों रुपये का खेल खेला गया.
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
राजस्थान विवि की वीसी प्रो अल्पना कटेजा का कहना है कि ऑडिट में बात सामने आई है. इसपर आगे की कार्रवाई की जा रही है. वहीं, महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो निमाली सिंह का कहना है कि उनकी छवि खराब की जा रही है.
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