Rajasthan University News Today: राजस्थान यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में खिलाड़ियों को डोपिंग से बचाने के लिए जागरूकता सेमिनार आयोजित किया गया. इस दौरान डोपिंग की तमाम नुकसान से रुबरु किया गया. साथ ही साथ डोपिंग पर और अंकुश लगाने के लिए रीजनल एन्टी डोपिंग एजेंसी की स्थापना की जरूरत बताई गई.
नाडा की मेडिकल ज्यूरी मेम्बर डॉ संजोगिता सूडान ने कहा कि पहले जहां 15 दिन में एक केस हमारे पास आते थे, वहीं अब सप्ताह में चार केस आ रहे हैं. पुरुषों की तुलना में महिला खिलाड़ी ज्यादा डोप पॉजिटिव पाई जा रहीं हैं. इसके पीछे उनके परिवार का दबाव बड़ी वजह है.
खिलाड़ियों को दी गई ये सलाह
डॉ संजोगिता सूडान ने कहा कि नौकरी पाने की चाहत उन्हें इस तरफ ले जा रहा है, इससे बचना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि जो खिलाड़ी वहां सेम्पल नहीं देते हैं उन्हें बिना टेस्ट के ही पॉजिटिव मान लिया जाता है. उन्होंने कहा कि इन सबसे बचने के लिए खिलाड़ी सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर्स से ही दवाएं लें न कि फिजियोथेरिप्सट से दवा लेकर खाएं.
चूंकि, सेम्पल को टेस्ट करने में काफी खर्च आता है इसलिए हर खिलाड़ी का टेस्ट नहीं होता है. राजस्थान यूनिवर्सिटी की खेल बोर्ड सेक्रेटरी डॉ प्रीति शर्मा ने कहा कि इसके लिए खिलाड़ियों को बेहद जागरूक रहना होगा.
'अवेयर करना ही है इलाज'
अर्जुन अवार्डी और ओलंपियन गोपाल सैनी ने कहा कि नेचुरल रहने से ही फायदा है. डोपिंग से शार्ट टर्म में फायदा मिलता है, लेकिन लंबे समय के लिए नुकसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि डोपिंग से बचकर रहना चाहिए. लोगों को जितना अवेयर करेंगे, उतना अच्छा रहेगा.
गोपाल सैनी कहा कि लगातार डोपिंग की कहानी बढ़ती जा रही हैं. खिलाड़ियों के लिए डोपिंग बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है. उन्होंने कहा कि पहले लैब बेहतर नहीं होते थे, लेकिन अब लैब बदल रहे हैं. इस दौरान गोपाल सैनी ने अपने पुराने अनुभवों को शेयर किया.
'सप्लीमेंट और अन्य चीजों के इस्तेमाल से बचें'
इस सेमिनार में सभी विशेषज्ञों ने सप्लीमेंट और दवाओं से दूर रहने की सलाह दी. एक्सपर्ट के मुताबिक, कई बार अनजाने में खिलाड़ी दवाई खा लेते हैं और उनकी डोप रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है.
सेमिनार में एक्सपर्ट ने बताया कि, चार कप काफी पीने के बाद भी डोप रिपोर्ट पॉजिटव आ जाती है. इसलिए इन सभी बातों से बचना चाहिए.
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