Rajasthan Day Celebration In New Delhi: शूरवीरों की धरती कहे जाने वाले राजस्थान की विश्वभर में अपनी अलग पहचान है. यहां की संस्कृति, लोक कलाएं और ऐतिहासिक धरोहरों की अपनी अलग पहचान है. राजपूत राजाओं से रक्षित इस भूमि को 30 मार्च 1949 को 'राज-स्थान' नाम मिला था. राजस्थान दिवस 30 मार्च को मनाया जाएगा. राजस्थान दिवस के उत्सव का यह 73वां साल है. राज्य की लोक कला, संस्कृति व खान-पान अपने आप में अलग ही पहचान रखते हैं.


बता दें कि इस राजस्थान दिवस के आयोजन में आप भी लुप्त उठा सकते हैं. यह उत्सव नई दिल्ली के बीकानेर हाउस परिसर में 24 मार्च से 31 मार्च 2022 तक रोजाना सुबह 11 बजे से रात्रि 9 बजे तक आम नागरिकों के लिए खुला रहेगा. राजस्थान पर्यटन, राजस्थान फाउंडेशन, बीकानेर हाउस प्रबंधन समिति और रूडा ने मिलकर राजस्थान उत्सव के दौरान आयोजित हस्तशिल्प मेला, राजस्थानी सांस्कृतिक कलाओं से जुड़े संपूर्ण कार्यक्रमों का कैलेंडर भी जारी किया है.


राजस्थान उत्सव में विंटेज कार रैली होगी आकर्षण का केंद्र 


राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव ने बताया कि सप्ताह भर चलने वाले इस राजस्थान उत्सव में 27 मार्च को हेरिटेज मोटरिंग क्लब ऑफ इंडिया और राजस्थान फाउंडेशन के संयोजन से विंटेज कार रैली का आयोजन किया जाएगा. इस विंटेज कार रैली में तत्कालीन बीकानेर महाराज की कार सबसे आगे चलेगी, जिसे बाद में उत्सव के दौरान बीकानेर हाउस परिसर में दर्शकों और आगंतुकों के लिए देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा.




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हैंडीक्राफ्ट सामान की दुकानें


वहीं, राजस्थान उत्सव में रूरल नॉनफार्म डेवलपमेंट एजेंसी (रूडा) के ओम प्रकाश ने बताया कि हमनें राजस्थान के चुनिंदा दस्तकारों को इस उत्सव में अपना हैंडीक्राफ्ट सामान आगंतुकों को बेचने के लिए बुलाया है. इन हैंडीक्राफ्ट उत्पादों में ब्लू पॉटरी, स्टोन वर्क, राजस्थानी ऊनी शाल, राजस्थानी ज्वेलरी, मार्बल, ब्रास मेटल वर्क, क्ले फेस, राजस्थानी जूतियां, बाड़मेरी एंब्रायडरी, सांगानेरी प्रिंट, बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट, राजस्थानी साड़ियां-सूट, टेराकोटा, वुडन क्राफ्ट, गोटा पत्ती, तारकशी का कार्य, लैदर बैग, राजस्थानी पेंटिंग, कोटा डोरिया, अजरक प्रिंट, पोकरण पोटरी, पटवा वर्क, कावड़ कास्ट कला, राजस्थानी बैंगल्स सहित विभिन्न प्रकार के राजस्थानी हैंडीक्राफ्ट आइटम्स आगंतुकों के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे. इस मेले में रूरल नॉनफार्म डेवलपमेंट एजेंसी (रुडा) द्वारा राजस्थानी आर्टिजंस के 50 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं जिनमें राजस्थानी कला और संस्कृति के प्रतिनिधि आर्टिजंस का कला और हस्तशिल्प का सामान राजधानी के लोगों के लिए खरीदारी के लिए उपलब्ध होगा.


7 चरणों में पूरी हुआ था राज्य का एकीकरण


राजस्थान के एकीकरण का श्रेय लोह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया जाता है. राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ था. राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ. इसमें कुल 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे. आजादी के समय राजस्थान में 19 रियासतें की 3 ठिकाने और 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था. चतुर्थ चरण (30 मार्च 1949) में जब जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर जैसी बड़ी रियासतों का विलय पूरा हुआ तो इसे वृहत राजस्थान नाम दिया गया. इसी दिन को राजस्थान के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. छठे चरण में (26 जनवरी 1950) को संयुक्त वृहद राजस्थान में जब सिरोही को शामिल किया गया, तब इस पूरे भौगोलिक क्षेत्र का नाम राजस्थान पड़ा.


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