Bundi News: बूंदी के इस लाल ने माटी की रक्षा करते हुए दी प्राणों की आहुति, पत्नी ने घर में बनवाया स्मारक
Rajasthan News: आजादी का अमृत महोत्सव पर हम याद कर रहे हैं बूंदी जिले के उमर गांव निवासी वीर जवान जगदेव राज सिंह की जो साल 2000 में शहीद हो गए थे.
Azadi Ka Amrit Mahotsav: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में उन वीर सपूतों को भी याद किया जा रहा है, जिन्होंने इस देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. हम बात कर रहे हैं बूंदी जिले के उमर गांव निवासी वीर जवान जगदेव राज सिंह की जो साल 2000 में शहीद हो गए थे. मध्य प्रदेश में आतंकियों ने सेना की गाड़ियों को बम से उड़ा दिया था. वह सेना की गाड़ी से दूर जंगल में जा गिरे थे और सात दिनों बाद शहीद हो गए. परिवार में आज भी 22 साल पहले हुए इस हमले का दर्द है. शहीद की पत्नी व बेटे आज भी उस हमले को याद करते हैं तो उनके आंखों से आंसू तक निकल जाते हैं. पत्नी ने पति की याद में अपने घर में स्मारक बना दिया और उन्हें रोज सुबह शाम पूजती है ताकि परिवार में उनकी कमी ना खले. शहीद होने के बाद सरकार की ओर से आर्थिक सहायता करते हुए जमीन आवंटित कर परिवार में नौकरी दी गई.
आतंकियों ने सेना की गाड़ी को उड़ा दिया था
साल 2000 में वीर बहादुर जगदेवराज सिंह एमपी में शहीद हुए थे. वीर बहादुर जगदेव राज सिंह साल 2000 में मध्यप्रदेश में चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के दौरान मत पेटियों को सेना की गाड़ी में ले जा रहे थे. तभी आतंकियों ने ग्रेनेड हमला कर सेना के ट्रकों को ही उड़ा दिया था. उसमें वीर बहादुर जगदेव राज सिंह गंभीर घायल हो गए थे. ब्लास्ट के समय सेना की गाड़ी से उछलकर वीर बहादुर जगदेव राज सिंह जंगल में गिर गए. वीर बहादुर जगदेव विराज सिंह बुरी तरह से घायल हो गए ते और उनके सिर पर गहरी चोट लगी थी. उन्हें वाराणसी के अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां सात दिनों बाद वह शहीद हो गए.
पति का स्मारक बनाया, रखती है करवा चौथ का व्रत
वीर बहादुर जगदेव राज सिंह अपने पीछे पत्नी कमला देवी और दो बेटे और दो बेटियों को छोड़ गए. जिस समय यह हादसा हुआ था उस समय सभी बच्चे छोटे थे. जिन्हें कमला देवी ने पाला और बड़ा किया. उनका एक बेटा अब सीआईएसएफ में तैनात हैं. वहीं अपने पति की कमी न खले इसलिए उन्होंने घर में ही स्मारक बना दिया और उसे पूजना शुरू कर दिया. शहीद की पत्नी कमला देवी बताती है कि घटना के वक्त एक महीने पहले वह घर आए थे और वापस आने का कह कर निकले थे. अचानक से उनके साथ अनहोनी की खबर मुझे मिली तब मैं खेत में काम कर रही थी. परिजनों ने मुझे कुछ नहीं बताया और सीधा अस्पताल लेकर चले गए. कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गई. कमला देवी बताती है कि वह आज भी करवा चौथ का व्रत रखती है और पति की मूर्ति के सामने व्रत को खोलती है.