Jodhpur News: हिंदू रीति रिवाज के अनुसार होने वाली शादी में कई रस में होती हैं. इनमें भी सबसे अहम होती हैं मेहंदी, हल्दी, गणपति निमंत्रण, तोरणमार,अग्नि के सात फेरों की रस्म. आज हम आपको तोरण की रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं. दूल्हा जब अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है तो सबसे पहली रस्म यह होती है. तोरण कितने प्रकार के होते हैं और तोरण की क्या मान्यता है और तोरण का क्या इतिहास है आइए जानते हैं. 


दो प्रकार के होते हैं तोरण
दरअसल तोरण दो प्रकार के होते हैं. एक तो शादी विवाह के दौरान दुल्हन के दरवाजे पर बंधने वाला तोरण. इस पर तोते का निशान होता है. वहीं दूसरा घर में शुभ कार्य या गृह प्रवेश या अनुष्ठान के दौरान लगाया जाने वाला तोरण. इस पर गणेश जी और स्वास्थ्य का निशान होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से फैशन और रेडीमेड तोरण आने के बाद शादी वाले घर में दुल्हन के दरवाजे पर बंधने वाला तोरण उस पर गणेश जी व स्वास्थ्य की फोटो लगी होती है जो कि एक तरह से अपशकुन माना जाता है लेकिन लोगों की जानकारी नहीं होने के चलते इस तरह से काम होता है.


अब रेडीमेड तोरण का चलन
जोधपुर के पुश्तेनी दुकानदार राजू प्रजापति जो कि बरसों से तोरण बनाने का काम कर रहे हैं, ने बताया कि आजकल लोग शादियों में गणेशजी वाला तोरण ले जाते हैं जो कि हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक गलत है. शादी के मौके पर तोत के निशान वाला तोरण ले जाना चाहिए. गणेशजी वाला तोरण घर के दूसरे शुभ कार्यों के लिए होता है. 


क्यों होती है तोरण की रस्म?
दरअसल तोरण को लेकर अलग मान्यता है. दुल्हन के घर के बाहर तोते का तोरण लगाया जाता है क्योंकि यह प्राचीन समय से एक दंतकथा है उसके अनुसार जब दूल्हा अपने ससुराल शादी के लिए पहुंचता है तो दुल्हन के घर पर तोते के रूप में एक राक्षस बैठा होता है जो कि वह दूल्हे में प्रवेश करता है और उस दुल्हन से शादी कर लेता है फिर बाद में उस दुल्हन को परेशान करता है. इस कहानी में बताया गया है कि एक राजकुमार हुआ करता था जिसकी शादी के दौरान वह अपने बारात लेकर जैसे ही ससुराल पहुंचा तो उसको घर के ऊपर तोते में राक्षस नजर आया.  राजकुमार ने अपनी तलवार निकालकर उस उस राक्षस को मार गिराया. उसके बाद दोनों की शादी हुई और शादीशुदा जिंदगी शांति वह बिना किसी व्यवधान के जीवन भर रहे उसी के बाद से दुल्हन के घर पर बांधे जाने वाले तोरण में तोता लगे हुए होते हैं.


घर के कार्यो में होता है गणेशजी वाले तोरण का इस्तेमाल
वहीं गणेश जी लगे तोरण घर में शुभ कार्य गृह प्रवेश व अनुष्ठान के दौरान लगाया जाता है. लेकिन अब दंतकथा को भूल कर रेडीमेड बने तोरण दुकान से खरीदारी में गणेश जी व स्वास्तिक लगे तोरण को लेकर आते हैं और उनको तलवार से वार करते हैं जो कि अपशकुन है. लोगों को मना करने के बावजूद भी लोग गणेश जी लगे हुए तोरन ही खरीदते हैं ऐसा पिछले 10-15 साल पहले ही शुरुआत हुई. 




गणेशजी को देते हैं निमंत्रण
हिंदू रीति रिवाज के अनुसार होने वाली शादियों की जानकारी रखने वालों ने बताया कि शादी से पहले हम गणपति जी को निमंत्रण देकर घर में बुलाते हैं. शादी की पहला कार्ड गणेश जी को भेजा जाता है. यह मान्यता है कि गणेश जी उस घर में विराजते हैं और सभी शुभ कार्य को कर पुनः लौट जाते हैं लेकिन दूल्हे की बारात पहुंचते ही दुल्हन के घर पर बांधे जाने वाले तोरण में गणेश जी व स्वास्थ्य लगे होने पर दूल्हा तलवार से वार करता है. यह तो गणेश जी और स्वास्तिक का अपमान होता है घर पर बुलाकर मेहमान पर तलवार से वार करना जिससे घर गृहस्ती सही नहीं चलती है.


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