राजस्थान: भले ही एक जनवरी से नव वर्ष प्रारंभ हो गया हो, लेकिन भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास से होती है. पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि अभी फाल्गुन चल रहा है जो संवत का अंतिम माह है और इसके बाद 2 अप्रैल से नव संवत का प्रथम चैत्र माह प्रारंभ होगा. इस दौरान चंद्र ग्रह मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करते है और 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्ण हो जाता है तब चैत्र का महीना शुरू होता है. इस महीने में चित्रा नक्षत्र लगता है.
चैत्र के पवित्र मास का ज्योतिष शास्त्र से गहरा संबंध
बता दें कि नया वर्ष शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है, इसी दिन नवरात्रि के साथ चैत्र महीने में नवरात्रि, गुडी पड़वा, बैशाखी, गणगौर पर्व भी मनाया जाएगा और इसी दिन से विक्रम संवत 2079 आरंभ हो जाएगा. नव संवत प्रारंभ होने के साथ ही चैत्र महीने में प्रकृति में भी बदलाव का प्रारंभ होने लगता है. वसंत ऋतु को विदा और ग्रीष्म ऋतु आरंभ होती है. चैत्र के इस पवित्र मास का ज्योतिष शास्त्र से भी अत्यंत गहरा संबंध है क्योंकि इस महीने से ही प्रकृति में शुभता और नई उर्जा का संचार होता है. प्रकृति में बदलाव के समय हम बीमारियों से न घिर जाएं इसलिए खानपान में कुछ विशेष सावधानियां बरती जानी चाहिए ताकि तन और मन दोनों स्वस्थ रहें.
चैत्र महीने का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी. इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था. प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई थी. इसलिए चैत्र महीने का काफी महत्व है.
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चैत्र माह में खान-पान में क्या रखें सावधानियां
- इस महीने से धीरे-धीरे अनाज खाना कम करना चाहिए.
- पानी अधिक पीना चाहिए, फल खाएं.
- गुड़ नहीं खाना चाहिए.
- चना खाना बहुत अच्छा माना गया है.
- इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए.
चैत्र माह में किनकी उपासना करनी चाहिए
- नाम यश और पद प्रतिष्ठा के लिए सूर्य की उपासना करें.
- शक्ति और ऊर्जा के लिए देवी की उपासना करना चाहिए.
- इस महीने में लाल फलों का दान करना चाहिए.
- नियमित रूप में पेड़ पौधों में जल डालना चाहिए.
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