राजस्थान की राजनीति का इतिहास बहुत ही संघर्षशील रहा है. प्रदेश के शूरवीर हो या फिर राजनेता उनका नाता संघर्ष से जरूर रहा है. आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी की जो लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले प्रदेश के एकमात्र विधायक रहे हैं, जिन्होंने अपना मुख्यमंत्री कार्यकाल कभी पूरा नहीं किया. राजस्थान के पूर्व सीएम हरिदेव जोशी की 28 उनकी पुण्यतिथि मनाई जाती है. 10 साल की उम्र में हरिदेव जोशी का हाथ टूट गया था.


मार्च 1985 में हरिदेव जोशी राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे. उसी दौरान मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने थे सत्ता और संगठन मैं संघर्ष तेज हो गया. साथ ही उस दौरान प्रदेश के सीकर जिले में दीरावली सती कांड हो गया. इस रूप कंवर सती कांड ने देश को हिला कर रख दिया. इस मामले को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया. विरोध अधिक बढ़ने पर हरिदेव जोशी ने अपना इस्तीफा राजीव गांधी को सौंप दिया. इसके बाद शिवचरण माथुर को राज्य की कमान सौंप दी गई 28 मार्च 1995 को पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी का निधन हो गया था.


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राजस्थान के सीकर जिले के दिवराला गांव में 4 सितंबर 1987 को पति के निधन के बाद उनकी चिता पर जलकर 18 वर्षी रूप कंवर की मौत भी हो गई थी. दिसंबर 1829 में ब्रिटिश सरकार द्वारा इस प्रथा पर प्रतिबंधित किए जाने के करीब 158 साल बाद पूरी दुनिया का ध्यान सती होने की इस घटना ने खींचा था. 4 सितंबर 1987 को हुई इस घटना में करीब 32 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.


राजस्थान का एक जिला बांसवाड़ा जहां हर बरसात में माही नदी में उफान आता हैं तो  इस जगह का बाकी राजस्थान से संपर्क कट जाता था. यहां के खांदू गांव में पैदा 14 दिसंबर, 1921 को पैदा हुए हरिदेव जोशी. करीब 10 साल की उम्र में हरिदेव का बांया हाथ टूट गया. गांव के आस-पास डॉक्टर नहीं था तो घरवालों ने देसी इलाज करवाया. बांस की खपच्चियों से हाथ सीधा करवा दिया. लेकिन दवाइयों के अभाव में हाथ में जहर फैल गया. घरवाले शहर में इलाज के लिए लेकर गए. डॉक्टर ने कहा- हाथ काटना पड़ेगा नहीं तो रिस्क है. और हरिदेव का बायां हाथ काट दिया गया.


1973 में हार्ट अटैक के चलते बरकतुल्लाह की मौत हो गई. हरिदेव जोशी को सीनियर मोस्ट के नाते कार्यवाहक मुख्यमंत्री बना दिया गया. अब सबकी नजर इंदिरा पर थी. पिछली बार दिल्ली से सीएम चुनने वाली इंदिरा गांधी बोला - विधायक दल खुद अपना नेता चुने. दरअसल इंदिरा गांधी हरिदेव जोशी को लेकर बहुत उत्साही नहीं थीं. उन्हें याद था कि जब राष्ट्रपति के चुनाव के फेर में कांग्रेस दो फाड़ हुई थी, तब जोशी विरोधी खेमे में थे वो बात और है कि बाद में वह इंदिरा गांधी कैंप में लौट आए थे.


तो आपके मन मे सवाल चल रहा होगा कि तो फिर इंदिरा की च्वॉइस कौन थे? उनके गृहराज्य मंत्री और सूबे के बड़े जाट नेता रामनिवास मिर्धा. अब मिर्धा और हरिदेव आमने सामने थे. विधायक दल की वोटिंग हुई. और उससे ऐन पहले कांग्रेस के विधायकों का एक गुट मिर्धा के पाले से खिसक लिया. कौन सा गुट, मिर्धा को पसंद न करने वाले जाट नेताओं का गुट, कोई इसमें परसराम मदेरणा का नाम आता है. मिर्धा हार गए. जोशी 13 वोट से जीत विधायक दल के नेता बन गए. और फिर उन्होंने अपनी कार दिल्ली दौड़ा दिया आलाकमान का आशीर्वाद पाने के बाद जोशी राजस्थान के सीएम बन गए.


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