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Jodhpur News: शिवरात्रि के मौके पर जोधपुर में होता है 12.56 का आयोजन, जानें इसके पीछे की कहानी

पश्चिमी राजस्थान का 12:56 एक विशेष आयोजन होता है.  जिसे महादेव के भक्तों के द्वारा किया जाता है. महादेव के सभी भक्तों को 12.56 का निमंत्रण देकर बुलाया जाता है.

दोपहर में जैसे ही घड़ी में 12.56 बजते हैं, जोधपुर के सैकड़ों शिव भक्त जय जय शिव शंकर जैसे गीतों की पैरोडी भजनों में गाते हैं और भांग (भांग) की चाशनी पीते हैं. दरअसल शिवरात्रि पर यहां बारह छप्पन का आयोजन किया जाया है.  जो हर साल मंदिर में मनाया जाता है. भगवान शिव को समर्पित मंदिर राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर में आधा दर्जन श्मशान घाटों से परे एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. यह भांग पार्टी टिप-प्लर्स के लिए एक वास्तविक इलाज है, जो पकोड़े और मिठाई के साथ मुफ्त पेय का आनंद ले सकते हैं. 
 
12.56 आयोजन में शिवभक्त भोलेबाबा को भांग का भोग लगाते हैं
शिवरात्रि आ रही है और हर कोई महादेव की पूजा अर्चना कैसे करें जिससे महादेव खुश हो जाए. कैलाश वासी भगवान श्री महादेव जो ना आदि हैं ना ही अनन्त है. शिवरात्रि पर खास तौर से 12.56 का आयोजन होता है जिसमें सभी महादेव भक्त साधु संत इकट्ठे होकर भगवान को भांग का भोग लगाते हैं.  पौराणिक कथाओं में भी बताया गया हैं महादेव को भांग अति प्रिय बताई गई है. अधिकतर मंदिरों में शिवलिंग पर भांग से श्रृंगार किया जाता है. 
 
पश्चिमी राजस्थान का 12.56 एक विशेष आयोजन होता है
पश्चिमी राजस्थान का 12.56 एक विशेष आयोजन होता है. महादेव के भक्तों के द्वारा किया जाता है. महादेव के सभी भक्तों को 12.56 का निमंत्रण देकर बुलाया जाता है. सभी भक्त मिलकर वर्षों पुरानी चली आ रही परंपरा के अनुसार 12.56 पर एक जगह पहुंच जाते हैं. इस आयोजन में युवा वर्ग सहित सभी उम्र के लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. यह एक मेले जैसा आयोजन होता है सभी साधु संत महादेव के भक्त यहां पर भांग को घूट- घूंट कर पते हैं और मंत्रोचार कर भगवान महादेव का आह्वान करते हैं.
 
 
12.56 को लेकर पश्चिमी राजस्थान के मंदिरों में आयोजन होते रहते हैं
जोधपुर के 12.56 का आयोजन करने वाले उगम सिंह व गणपत जोशी ने बताया कि भांग बाबा भोलेनाथ की अति प्रिय है. भांग पीकर भोलेनाथ ध्यान लगाते थे प्राचीन समय से चली आ रही 12.56 की परंपरा विरासत में मिली है. इस 12.56 को लेकर पश्चिमी राजस्थान के मंदिरों में आयोजन होते रहते हैं . 12.56 का आयोजन करने के पीछे यह मान्यता है कि भगवान भोले शंकर उस वक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं और जिसकी जो भी भी मुराद हो वह पूरी हो जाती है. 12.56 का आयोजन करने वाले लोगों ने बताया कि इसको औषधि के रूप में भी ग्रहण किया जाता है. जिससे कई बीमारियां भी दूर रहती है. महादेव के भक्त व साधु संत भांग पीकर भगवान महादेव का ध्यान लगाते हैं . इस भांग में काली मिर्च रबड़ी पिस्ता बादाम मिल्क और काजू, सुखा मेवा लाख इलायची केसर, अंजीर वह ठंडाई के साथ भांग को घोटा जाता है फिर इसे भगवान महादेव को चढ़ाने के बाद भक्तों व साधु-संतों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है. 
 
आखिर 12.56 क्या है
अब आपके मन में आया होगा कि आखिर 12.56 क्या है और यह कैसे होती है?  12.56 का मतलब 12.56 से है यह एक ऐसा समय है जब सभी महादेव के भक्त और साधु संत मिलकर भगवान को भांग का भोग लगाते हैं . 12 ज्योतिर्लिंग होते हैं और 56 तरह के व्यंजन से भोग लगाया जाता है इसलिए इस आयोजन को 12.56 कहा जाता है. भांग प्रेमियों की मान्यताओं के अनुसार, शिव जिन्हें भूतों का भगवान भी कहा जाता है, अपनी वार्षिक यात्रा हिमालय में कैलाश पर्वत पर अपने पौराणिक निवास से आत्माओं के साथ शुरू करते हैं.   यात्रा सुबह के घंटों तक जारी रहती है और चूंकि भूत अपने स्वामी (भगवान शिव) के साथ व्यस्त हैं, इसलिए उनके भक्त आनंद ले सकते हैं. 
 
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