Akshaya Tritiya 2022: अक्षय का मतलब है जिसका क्षय न हो. चन्द्र गणना में सभी तिथियों का क्षय होता है. लेकिन पंडित सुरेश श्रीमाली के मुताबिक तृतीया तिथि का कभी क्षय नहीं होता. तृतीया तिथि की अधिष्ठात्री देवी मां पार्वती जी है. मान्यता है कि, यदि किसी को अच्छे कार्य करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है, कार्य में बाधाएं यानि अड़चने आ रही है, व्यापार में घाटा हो रहा है तो उनके लिए कोई भी नई शुरूआत करने के लिए, सगाई, विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार सहित किसी शुभ अथवा लाभ का कार्य करने के लिए अक्षय तृतीया का दिन सबसे शुभ होता है.  साथ ही इस दिन थोड़ी ही सही लेकिन सोने या चांदी की कोई ना कोई चीज जरूर खरीदनी चाहिए. इस दिन  जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उनका अक्षय फल मिलता है. 

 

अक्षय तृतीया का दिन विवाह के लिए उत्तम माना जाता है

विवाह के लिए तो ये दिन बहुत ही अच्छा माना जाता है.  देवोत्थान एकादशी की तरह इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इसीलिए इसे अबुझ सावा मानकर बिना मुहूर्त पूछे विवाह करने की परम्परा है. माता-पिता अपने बच्चों की शादी कराने के लिए खासतौर पर अक्षय तृतीया तिथि का इंतजार इस विश्वास के साथ करते हैं, कि उनके बच्चों का वैवाहिक जीवन खुशियों और संपन्नता से भरा रहेगा. इसके अलावा विवाह के दौरान कन्या दान का एक जरूरी संस्कार होता है, अक्षय तृतीया के दिन कन्या दान करने से इसका पुण्य कई गुणा बढ़ जाता है. 

 


 

उत्तर भारत अक्षय तृतीया के दिन हजारों की संख्या में विवाह होते हैं

मान्यताओं के अनुसार इस दिन ऐसे विवाह भी मान्य होते है जिन जातकों की कुंडली में ग्रहों की दशा ठीक नहीं चल रही है, जिससे उसके शादी का योग नहीं बन पा रहा है तो इस दिन शादी करने से उस जातक का जीवन सफल और सुखद रहता है और उन्हें भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का आशीवार्द प्राप्त होता है.  इस दिन नवविवाहित जोड़ों द्वारा दानादि करने से उनके जीवन में वैभव की वृद्धि होती है.  इसी कारण उत्तर भारत में इस दिन हजारों की संख्या में विवाह होते है.
  

 

अक्षय तृतीया को क्यों माना गया है इतना शुभ

दरअसल ये वह तिथि है जिस दिन त्रेता युग की शुरूआत हुई थी. इस युग की आयु 12, 96, 000 साल रही. इसी युग में भगवान श्रीवामन, परशुराम एवं श्रीराम ने अवतार लिया था. इस दिन बद्रीनाथ के पट खुलते है. नर-नारायण ने इस दिन अवतार लिया था. वृदावंन के श्री बांके बिहारी मंदिर में इसी दिन श्रीविग्रह के चरण दर्शन होते है, अन्यथा पूरे वर्ष भर वस्त्रों से ढके रहते है. इसी दिन कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ था और सुदामा का भाग्य बदल गया था. भगवान ब्रह्मा के पुत्र श्री अक्षय कुमार का इसी दिन अवतरण हुआ था. कुबेरदेव को अतुल ऐश्वर्य की प्राप्ति इसी दिन हुई थी और वह देवताओं के कोषाध्यक्ष बने थे. इसी दिन भगवान श्री कृष्ण को चंदन लगाने का विशेष महत्व है. अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेश जी ने वेद व्यास के साथ महाभारत लिखना शुरू किया था, जिसमें गीता भी समाहित हैं. इस दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना शुभ होता है. इसी दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं. इस दिन गंगा नदी पृथ्वी पर स्वर्ग से उतरी थीं.  भगवान कृष्ण ने इसी दिन पाण्डवों को अक्षय पात्र दिया था.  इसी दिन देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था और  द्वापर युग का समापन भी इसी दिन को हुआ था. अक्षय तृतीया के  दिन द्रोपदी को चीर हरण से श्री कृष्ण ने ही  बचाया था. इसी दिन महाभारत का युद्ध भी समाप्त हुआ था और इसी दिन भगवान श्रीष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य किए जाएंगे, उसका पुण्य मिलेगा और कोई भी नया काम या कारोबार शुरू करने पर उसमें बरकत और ख्याति मिलेगी. 

 

अक्षय तृतीया 2022 शुभ मुहूर्त


  • 3 मई 2022, मंगलवार को सुबह 5 बजकर 19 मिनट से तृतीया तिथि शुरू होगी और 4 मई की सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक रहेगी.

  • इस दिन रोहिणी नक्षत्र सुबह 12 बजकर 34 मिनट से 4 मई को सुबह 3 बजकर 18 मिनट बजे तक रहेगा.

  • साथ ही शुभन योग, परिजात योग वहीं मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशियों के लिए हंस योग रहेगा.


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