Rajasthan Politics: राजस्थान में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के एक साथ न होने की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. इन दोनों नेताओं के समर्थक समय-समय पर कई मुद्दों को लेकर सड़क पर भी दिखे. वहीं अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को एक साथ बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.


दरअसल, इन दोनों नेताओं को एक साथ महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में काम सौंप दिया गया है. सवाल यह उठ रहा है कि जब राजस्थान में खुद सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, तो ऐसे में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को महाराष्ट्र में क्यों एक साथ जिम्मेदारी दी गई है. दरअसल, जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से ज्यादा सचिन पायलट के प्रभाव क्षेत्र की हैं. उनके परिणाम पर पायलट का प्रभाव दिख सकता है.


डोटासरा और जूली की असल परीक्षा
राजस्थान में कांग्रेस अब मजबूत नेताओं की दूसरी लाइन तैयार कर रही है. जिसमें प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के कंधे पर जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है. इस उपचुनाव में इन दोनों नेताओं की बड़ी परीक्षा है. प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली दोनों ने कमान संभाल ली है. इसलिए अब इस उपचुनाव में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दूसरे राज्य में उतार दिया गया है.


कई राज्यों में पायलट का दिखा असर
बता दें कि हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की बड़ी भूमिका थी. जिसका असर वहां पर सरकार के रूप में दिखा था. हालांकि,  अशोक गहलोत को अमेठी लोकसभा का प्रभारी बनाया गया था. जहां पर कांग्रेस को जीत मिली थी. इसलिए अब सचिन और अशोक गहलोत दोनों को एक साथ महाराष्ट्र चुनाव में उतार दिया गया है. चूंकि, पहले से ही राजस्थान कांग्रेस के कई नेताओं को पहले ही वहां पर जिम्मेदारी दी गई है.


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