Rajasthan News: राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (Rajasthani Association Of Spices) ने शनिवार को कोटा (Kota) में दो दिवसीय बिजनेस मीट का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि किसान खेती में आधुनिकता को अपना रहे हैं. हाड़ौती संभाग की मिट्टी और जलवायु खेती के लिए काफी उपयुक्त है. यहां प्रचुर मात्रा में सिंचाई के लिए बिजली, पानी उपलब्ध है. साथ ही यहां दिल्ली मुंबई रेल और सड़क मार्ग भी बेहतर है. ऐसे में यहां किसान आधारित नए उद्योगों की अपार संभावनाएं हैं.
विधायक शर्मा ने कहा "खेती में पेस्टीसाइड और उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से कैंसर, र्ह्दय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि के रोग बढ़ रहे हैं. विदेशी लोग ओर्गेनिक चीजें महंगे दामों पर भी खरीद लेते हैं, लेकिन भारत मे इसके लिए जागरूकता का अभाव है. हालांकि धीरे-धीरे जैविक खेती के लिए किसानों और आमजन में भी उपयोग को लेकर जागरूकता आ रही है. उन्होंने कहा कृषि के क्षेत्र में सफल व्यापारी किसानों को बाजार के अनुरूप डिमांड बताकर उन्हें जागरूक कर उनको और स्वयं को समृद्ध बना सकते हैं."
विधायक संदीप शर्मा ने क्या कहा
उन्होंने कहा कि व्यापारियों की सरकार से अपेक्षाएं हैं. वो किसानों के हित मे उपयोगी सुझाव दें. उन्होंने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गुजरात और महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान में भी सिंगल विंडो बने. उन्होंने आश्वस्त किया कि खेती-किसान और व्यापारियों जुड़ी हर समस्या को बीजेपी सरकार के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा पूरा करने का प्रयास करेंगे. वहीं राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस संस्था के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि कार्यक्रम में कृषि से जुड़े वैज्ञानिकों, किसान नेता और व्यापारियों ने अपने-अपने मसाला खेती में किसानों से जुड़ी समस्याओं और मसालों की विदेशों में मांग को बढ़ाने, सरकार से किसानों और व्यापारियों को सहयोग की अपेक्षा पर विस्तृत चर्चा की गई.
विदेशों में राजस्थान के मसालों की काफी डिमांड
वहीं परिचर्चा में शामिल वक्ताओं ने कहा कि विदेशों में राजस्थान के मसालों की काफी डिमांड है, लेकिन यहां किसानों को मांग और आपूर्ति की सही जानकारी नहीं होने से किसानों को उपज का पूरा फायदा नहीं मिलता. इस समस्या से किसान लगातार जूझता रहता है. संस्था के अध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा कि जैविक खेती से जुड़े किसानों को उपज के अच्छे दाम मिले, इसके लिए अलग बाजार उपलब्ध हो, ताकि उन्हें उनकी उपज का भाव उसी के अनुरूप मिल सके.
श्याम जाजू ने कहा कि इसके साथ ही जीरे की खेती में नई वैरायटी बनाने पर भी जोर दिया गया. परिचर्चा में विदेशों में एक्सपोर्ट माल पर नजर रखने वाले अधिकारी ने सुझाव दिया कि व्यापारी और ट्रेडर्स किसानों के साथ मिलकर कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढावा दें तो किसानों को जैविक खेती में प्रोत्साहन मिल सकेगा. जैसलमेर से आए किसानों ने कहा कि जीरे की खेती मारवाड़ में होती है, तो तकनीकी केन्द्र भी उसी क्षेत्र में खुलना चाहिए.