Rajasthan: पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी बोले- 'पायलट के पास जनसमर्थन, राहत शिविरों में कुर्सियां खाली'
Rajasthan: राजेंद्र चौधरी ने कहा कि वार्ता होने के बाद दोनों नेताओं को एक लाइन का प्रपोजल दिया गया है. आलाकमान का जो फैसला होगा, दोनों उसको मानेंगे. इसके बाद सभी अफवाहों पर विराम लग गया है
Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) कांग्रेस (Congress) में सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच चल रही तकरार पर विराम लग गया है. दोनों के बीच सुलह हो गई है. कांग्रेस पार्टी पूरे जोश में है और सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है. सीएम गहलोत और पायलट के बीच हुए सुलह पर जोधपुर में कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष और तीन बार मंत्री रह चुके राजेंद्र चौधरी (Rajendra Chaudhary) ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा कि प्रदेश अध्यक्ष रहते सचिन पायलट ने बीजेपी के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार को जनता को बताया था.
उन्होंने कहा " जब हमारी सरकार बनी, इसके बाद सचिन पायलट ने सीएम गहलोत को वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार के दौरान हुए तमाम भ्रष्टाचार की जांच को लेकर कोई पत्र लिखे, लेकिन वहां से किसी भी तरह का जवाब नहीं आया. उसके बाद पायलट ने एक दिन का सत्याग्रह भी किया. सचिन पायलट की तीन मांगे थी, पहली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए बजरी माफिया खनन माफिया सहित कई अन्य भ्रष्टाचार हुए थे उन सब की जांच होनी चाहिए. दूसरी नकल और पेपर लीक मामले मैं जितने भी छात्रों को परेशानी हुई है, उनको मुआवजा दिया जाए और तीसरी लोक सेवा आयोग को बंद किया जाए, लेकिन अल्टीमेटम से पहले उस पर आलाकमान ने दोनों नेताओं से मिलकर उनकी सुलह करा दी."
राजेंद्र चौधरी बोले- दोनों नेताओं को दिया गया एक लाइन का प्रपोजल
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि वार्ता होने के बाद दोनों नेताओं को एक लाइन का प्रपोजल दिया गया है. आलाकमान का जो फैसला होगा, दोनों उसको मानेंगे. यह बात केसी वेणुगोपाल ने दोनों नेताओं की मौजूदगी में मीडिया के सामने कही थी. इसके बाद सभी अफवाहों पर विराम लग गया है. सचिन पायलट ने आलाकमान के सामने अपनी बात रखी. कई अन्य विषय पर उन्होंने अपना पक्ष रखा. दोनों ही नेता एक दूसरे की बातों से सहमत हुए हैं. इससे पहले जब अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को यहां आब्जर्वर भेजा गया था, तब आलाकमान की अनदेखी की गई थी. शांती धारीवाल और महेश जोशी ने आब्जर्वर्स के पास पहुंचकर सभी के इस्तीफे सौंप दिए थे. इसके बाद पता चला कि विधायकों ने इच्छा से इस्तीफे नहीं दिए थे. इन सबके बाद सवाल ये खड़ा होता है कि, किसके दबाव में इस्तीफे लिए गए थे.
'सचिन पायलट के पास जनसमर्थन'
राजेंद्र चौधरी ने कहा "सचिन पायलट को देखने और मिलने के लिए बाड़मेर में डेढ़ लाख लोग इकट्ठा हुए. लाखों लोग पद यात्रा के दौरान उनसे मिले. वो जहां जाते हैं, वहां जनसमर्थन उमड़ पड़ता है. उनके पास जनसमर्थन है. वहीं दूसरी ओर मैंने अखबारों और न्यूज़ चैनल में देखा है कि, राहत शिविरों में कुर्सियां खाली पड़ी हैं. राजस्थान सरकार के द्वारा चलाए जा रहे राहत शिविर के बारे में मैनें पता लगाया और लोगों से पूछा आपको रजिस्ट्रेशन के बाद शिविर में क्या लाभ मिला. लोगों ने मुझे बताया कि वो रजिस्ट्रेशन नंबर लेकर किसी गैस एजेंसी पर गए, लेकिन उनको कह दिया गया कि आपको 500 का सिलेंडर नहीं मिलेगा. यह लाभ उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो भारत सरकार में फ्री की योजना में रजिस्टर्ड हैं. वहीं जो गेहूं फ्री में मिलते था, वो अभी भी मिल रहा है."
पूर्व मंत्री बोले- कई विभाग में नहीं आ रही कर्मचारियों की पेंशन
पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने बताया कि, मेरी पत्नी प्रोफेसर पद से रिटायर हुई हैं. मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि दूसरा महीना हो गया है. अभी तक पेंशन नहीं मिली है. मुख्यमंत्री खुद फाइनेंस मिनिस्टर भी हैं. बस रोडवेज कर्मचारियों को सैलरी और पेंशन में परेशानी आ रही है. वंही कई दूसरे विभाग हैं, जहां पर कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा इन सबके बाद भी कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी, क्योंकि सरकार ने बहुत सारी ऐसी योजनाएं चलाई हैं. इससे जनता को काफी राहत मिली है. वहीं बीजेपी में चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया गया. नए प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वसुंधरा राजे को तवज्जो नहीं मिल रही है. आरोप लग रहे थे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे दोनों मिले हुए हैं, इसका प्रमाण खुद सीएम गहलोत ने अपने भाषण में दे दिया. उन्होंने कहा था कि मेरी सरकार को संकट के समय वसुंधरा राजे ने बचाया है. अब समझ जाना चाहिए कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही.
'जनता में कांग्रेस के प्रति'
राजेंद्र चौधरी ने कहा "मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के बीच आलाकमान के साथ हुई बैठक के दौरान राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को शामिल नहीं किया गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, राजस्थान कांग्रेस में संगठन की स्थिति कैसी होगी. यह कांग्रेस के संगठन के प्रति बहुत बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करता है. दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे हैं, जो कांग्रेस की बात करेंगे. सबसे बड़ी बात संगठन से ही सरकार बनती है. संगठन के लोगों का मनोबल गिराना नहीं चाहिए. मैं बताना चाहता हूं कि कांग्रेस के लोग पार्टी के खिलाफ हो सकते हैं. जनता कांग्रेस के खिलाफ नहीं है. जनता में कांग्रेस के प्रति किसी तरह का आक्रोश नहीं है."
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