Jaipur Bomb Blast Case: नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने अशोक गहलोत सरकार पर लगाए आरोप, बोले- 'न्याय के पक्ष में नहीं सरकार'
Rajasthan: नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार की मंशा साफ जाहिर होती है कि वह जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को जल्दी से जल्दी सजा दिलाने के पक्ष में नहीं है.
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Rajasthan Politics: राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Singh Rathore) ने नई दिल्ली स्थित राजस्थान स्टेट गेस्ट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जयपुर बम ब्लास्ट केस (Jaipur Bomb Blast Case) के आरोपियों के राजस्थान हाईकोर्ट (High Court) से बरी होने के मामले में सरकार को जमकर कोसा और आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एसएलपी दायर नहीं की.
राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि इसके बाद 13 अप्रैल 2023 को भारतीय जनता पार्टी राजस्थान ने जयपुर बम ब्लास्ट के दो पीड़ित पक्षकारों राजेश्वरी देवी धर्मपत्नी और अभिनंदन तिवाड़ी की तरफ से सु्प्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के 29 मार्च 2023 के आदेश को रद्द करने के लिए रीट याचिका दायर की थी. 12 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई करेगी.
पीड़ित परिवारों के समर्थन में धरना देगी बीजेपी
राठौड़ ने कहा "सरकार की मंशा साफ जाहिर होती है कि वह जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को जल्दी से जल्दी सजा दिलाने के पक्ष में नहीं है. इसलिए 13 मई को जयपुर बम ब्लास्ट की 15 बरसीं पर भारतीय जनता पार्टी पीड़ित परिवारों के समर्थन में जयपुर के 250 वार्डों में धरना देगी. बीजेपी की तरफ से जयपुर बम ब्लास्ट के पीडितों को न्याय दिलाने के लिए पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह, अधिवक्ता शिव मंगल शर्मा, अधिवक्ता हेमंत नाहटा और संजीव सिंघल की टीम सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी."
राज्य सरकार ने नहीं की कोई कार्रवाई
राठौड़ ने कहा कि हाईकोर्ट ने 29 मार्च के फैसले में जांच एजेंसी, पुलिस, अभियोजन पक्ष की लचर पैरवी और जांच पर सवाल उठाए थे. साथ ही हाईकोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे, लेकिन 43 दिन गुजर जाने के बाद भी राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. केवल एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को दोषी मानते हुए उन्हें हटाया. राठौड़ ने कहा कि हाईकोर्ट में कांग्रेस समर्थित 92 विधायकों के इस्तीफे का मामला विचाराधीन है.
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है राज्य सरकार अपने विधायकों की पैरवी के लिए दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट से बड़े-बड़े अधिवक्ताओं को करोडों रुपये देकर बुलाती है, जबकि ऐसे मामले जो जनता की संवेदना और भावनाओं से जुड़े हैं उनमें सरकार ने किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया. इसके चलते आतंकवादी रिहा हो गए.
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