Bharatpur: राजस्थान विधानसभा चुनावों (Rajasthan Assembly Election) को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) एक्टिव मोड में है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश में उनकी राजनीति इस बार थोड़ी अलग. सचिन पायलट से जब सीएम गहलोत की खींचतान शुरु हुई तो उन्होंने अपनी सरकार और कुर्सी बचाने के लिए समर्थन देने वाले विधायकों को खुली छूट दे दी. 


सीएम अशोक गहलोत लगातार पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं. वह प्रदेश में अपनी सरकार रीपीट करने के लिए जोरशोर से लगे हुए हैं. यही वजह कि वह जहां जाते हैं नई घोषणाएं करते हैं, उन्हें कई जगह पर ये कहते हुए सुना गया कि 'आप मांगते- मांगते थक जाओगे लेकिन में देते- देते नहीं थकूंगा.' उन्होंने आम लोगों को रिझाने के लिए 19 नए जिले बनाने की घोषणा कर दी. हालिया दिनों में आप जगह- जगह महंगाई राहत शिविर लगाए जा रहे हैं. इन जगहों पर खुद सीएम अशोक गहलोत पहुंचकर लोगों से फीडबैक ले रहे हैं,


सियासी शतरंज पर सीएम गहलोत की नई चाल


यहीं नहीं राजस्थान में अपनी सरकार रीपीट करवाने के लिए, सियासत के शतरंज पर सीएम अशोक गहलोत ने एक अलग तरह की चाल चली. उन्होंने राजस्थान की सभी जातियों के बीचे अपनी पैठ बनाने के और उन्हें खुश करने के लिए विशेष बोर्ड का गठन किया है. इन नए बोर्डों की संख्या लगभग 10 है. 


जाति आधारित सीएम गहलोत ने इन बोर्डों का किया गठन


नवगठित बोर्डों में सीएम गहलोत ने बंजारा जाति के लिए अर्ध घुमन्तु बोर्ड का गठन किया है, तो प्रजापति (कुम्हार) के लिए माटी कला, लोधी समाज के लिए अवन्ति बाई, यादव समाज के लिए कृष्ण बोर्ड बनाने की घोषणा की है. इसी तरह धोबी समाज के लिए रजक बोर्ड और नाई समाज के लिए केश कला बोर्ड, गुर्जर जाति के लिए देवनारायण बोर्ड, माली समाज के लिए ज्योतिबा फुले, जाट जाति के लिए वीर तेजा जी बोर्ड का गठन किया है. 


जबकि राजपूत जाति के लिए महाराणा प्रताप और सिखों के लिए गुरु नानक देव सिख कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है. ब्राह्मण समाज के लिए विप्र कल्याण का गठन किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नवगठित बोर्ड के गठन करने का मकसद आगामी विधानसभा चुनावों में संबंधित जातियों के वोट बैंक को अपना पाले में करना है. 


नवगठित बोर्डों के बजट में एक पैसे प्रावधान नहीं- राजेंद्र राठौड़


सीएम गहलोत के इन फैसलों पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने तंज कसते हुए कहा कि, अशोक गहलोत कई मामलों में कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं. वह हर महीने 3- 4 अलग बोर्ड गठित करते हैं. इन बोर्डों का गठन वह कभी किसी महापुरुष के नाम या किसी समाज के नाम करते हैं. लेकिन इनके लिए बजट में एक पैसे का प्रावधान नहीं करते हैं.


राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जिन बोर्डों का गठन किया गया है, उनके अधिकार, टर्म्स और कंडीशन सिर्फ एक झुनझुना पकड़ाने के समान है, जिससे लोग भ्रम में सीए गहलोत ने उनके लिए बड़ा काम किया है. उन्होंने प्रदेश सरकार पर बगैर किसी उद्देश्य के बोर्ड का गठन और अपने लोगों को उसमें अध्यक्ष के रुप में नामजद करने का आरोप लगाया. इन बोर्डों के अध्यक्ष को खुद नहीं पता है कि उन्हें क्या काम करना है. 


वोट बैंक की खातिर महापुरुषों के नाम बोर्ड का गठन- राजेंद्र सिंह राठौर


नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कुछ महापुरुषों के नाम बोर्डों के गठन करके, उनके फॉलोवर्स पर वोट बैंक की खातिर प्रभाव डालने की कोशिश की जा रही है. हालांकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. इसकी हालात 19 जिलों के गठन की तरह ही होगी. इस सरकार को जगह- जगह सड़कों पर बैठे लोग कोस रहे हैं, प्रदेश सरकार की हिम्मत नहीं पड़ रही है कि तीन महीने गुजर जाने के बाद भी नए जिलों के गठन का नोटिफिकेशन जारी करें. 


नवगठित बोर्ड को लेकर राजेंद्र राठौड़ ने दावा किया कि ये बोर्ड कागजों में ही दफन रहेंगे, समय के साथ खुद ही प्राकृतिक तौर पर खत्म हो जायेंगे. इनके पास इस काम के लिए न तो बजट है और न ही नवगठित बोर्डों के कार्य क्षेत्र को डिफाइन किया गया है. उनके अध्यक्षों के उनके अधिकार भी नहीं पता हैं, यह जनता है सब जानती है.


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