Rajasthan Assembly Session: राजस्थान विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदन के उपनेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) के खिलाफ मंगलवार को सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया. विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी (CP Joshi) ने कहा कि वह इस प्रस्ताव पर विचार कर कोई निर्णय करेंगे. हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर सदन में हंगामा हुआ और जोशी और राठौड़ में तीखी नोक झोंक हुई. विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार लोढ़ा ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले में विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय से पहले राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने को लेकर राठौड़ के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया था.


जोशी और राठौड़ में तीखी नोक झोंक हुई


विधानसभा अध्यक्ष डॉ जोशी ने मंगलवार को लोढ़ा को राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के तहत प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी, लेकिन जैसे ही उन्होंने अनुमति दी राठौड़ ने आपत्ति शुरू कर दी. इसके साथ ही उन्होंने मामले के कोर्ट में विचाराधीन होने का जिक्र किया. बीजेपी के कई और विधायक भी बोलने लगे. नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने जब इस पर कुछ कहा तो आसन ने कहा कि वह नियम के अंतर्गत काम कर रहे हैं. जोशी और राठौड़ में तीखी नोक झोंक हुई. राठौड़ ने कहा कि आप सत्ता पक्ष की अंदरूनी लड़ाई को ऐसा करके ढंक नहीं सकते, विशेषाधिकार पर टुकड़ों में फैसला गलत है.


विधानसभा अध्यक्ष जोशी ने कहा कि मैंने सोच समझकर इस प्रस्ताव की अनुमति दी है. इस पर अभी चर्चा नहीं हो रही है. अभी वह लोढ़ा को अपनी बात कहने की अनुमति दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदन के सदस्यों को मालूम होना चाहिए कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव कैसे आता है, बहुत से लोगों को मालूम नहीं है. विशेषाधिकार प्रस्ताव नियम कानून के तहत आता है यह लोगों को सिखाना जरूरी है. उन्होंने विपक्षी सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि वह आसन को निर्देशित नहीं कर सकते. इसको लेकर लगभग 20 मिनट तक सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के विधायकों के बीच तनातनी और नोक झोंक होती रही.


सरकार के सलाहकार ने क्या कहा?


सरकार के सलाहकार लोढ़ा ने अपना प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि अध्यक्ष महोदय मुझे सिर्फ यही कहना है कि क्या इस सदन में बैठकर हम सब लोग अपने संस्थान को कमजोर करने का काम कर रहे हैं. क्या यह सदन राजस्थान हाईकोर्ट के अधीन है कि राजस्थान हाईकोर्ट इस सदन को निर्देशित करेगा. क्या हम विधानसभा में किसी प्रश्न का जवाब नहीं मिलने पर, किसी प्रस्ताव का जवाब नहीं आने पर इसके लिए हाईकोर्ट में जाएंगे. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में किसी मामले का निर्णय नहीं हो तो क्या यह विधानसभा हाईकोर्ट को कह सकती है कि आप फैसला करिए. जब यह विधानसभा नहीं कह सकती तो हाईकोर्ट कैसे इस विधानसभा को निर्देशित कर सकता है.


लोढ़ा ने कहा कि सदन के बहुत वरिष्ठ सदस्य राठौड़ के आचरण ने राजस्थान की सात करोड़ जनता को अपमानित किया है, लांछित किया है, जिनकी आकांक्षाओं की पूर्ति का यह सदन माध्यम है. इसलिए इसकी जांच और इसका प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत किया जाए. इसके बाद जोशी ने कहा कि आप और हम सब जानते हैं कि संविधान के अंतर्गत विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियां परिभाषित हैं. मैं इस प्रस्ताव पर सोचकर निर्णय करूंगा. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के 25 सितंबर को दिए गए इस्तीफों के मुद्दे को उपनेता राजेंद्र राठौड़ हाईकोर्ट में ले गए थे. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इस मामले में विधानसभा सचिव की ओर से सोमवार को कोर्ट में बताया गया कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफे नहीं दिए थे, इसलिए डॉ जोशी ने इन्हें स्वीकार नहीं किया.


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