देवी सिंह भाटी ने किया विरोध तो दिल्ली में राजेंद्र राठौड़ ने अमित शाह से की मुलाकात, क्या हैं मायने?
Rajasthan BJP Politics: देवी सिंह भाटी ने राजेंद्र राठौड़ पर लोकसभा चुनाव में हार का ठीकरा फोड़ा. भाटी ने कहा कि राठौड़ की वजह से BJP ने कई सीटें हारीं. इसके बाद राठौड़ ने अमित शाह से मुलाकात की.
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Ravindra Singh Bhati News: राजस्थान में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता देवी सिंह भाटी ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का दो दिन पहले विरोध किया. राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की 11 सीटों पर हारी, लेकिन पार्टी में कोई कुछ खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. इसी बीच देवी सिंह भाटी ने राजेंद्र राठौड़ को लोकसभा चुनाव की हार में 'विलन' जैसा बना दिया है.
देवी सिंह भाटी ने खुलकर कहा कि राजेंद्र राठौड़ की वजह से कई सीटें बीजेपी हार गई. इतना ही नहीं, राहुल कस्वां के टिकट कटने को भी उन्होंने गलत बताया है. इसके बाद से राजस्थान की राजनीति में अलग तरह की चर्चा है. देवी सिंह भाटी के इस आरोप के बाद ही दिल्ली में राजेंद्र राठौड़ ने अमित शाह से मुलाकात की है. इस मुलाकात के कई सियासी मायने लगाए जा रहे हैं.
क्या संगठन में मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?
राजस्थान में बीजेपी के पास कोई मजबूत क्षत्रिय चेहरा नहीं है. इसके साथ ही शेखावटी में भैरों सिंह शेखावत के बाद से कोई बीजेपी को कोई बड़ा नेता नहीं मिला. झुंझुनूं से आने वाले जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया लेकिन जाट फिर भी बीजेपी के साथ नहीं आए. अब बीजेपी क्षत्रिय चेहरे पर दांव लगाना चाह रही है. इसके पीछे कई वजह मानी जा रही हैं.
राजस्थान में सरकार बनने के बाद से क्षत्रिय समाज में एक नाराजगी भी है. जिसका असर राजस्थान के अलावा कई राज्यों में दिखा भी है. यहां पर राजेंद्र राठौड़ की मजबूत पकड़ है. उनके पास एक लंबा अनुभव है. 30 साल से अधिक समय तक विधायक रहे है. कई बार प्रदेश में मंत्री रह चुके है. इसलिए यहां पर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.
भाटी के विरोध का कोई असर नहीं?
राजस्थान में देवी सिंह भाटी ने जिन दिग्गज नेताओं का विरोध किया वो आगे निकलता चला गया. राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया का कहना है कि राजेंद्र राठौड़ में सभी संभावनाएं हैं. उनके राजस्थान के अलावा कई राज्यों में अच्छे सम्बन्ध हैं. इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है.
वहीं, एक जानकारी के अनुसार देवी सिंह भाटी ने भैरों सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र का विरोध किया था. ये सभी राजस्थान की राजनीति के अलावा अन्य प्रदेश में अपना वजूद रखते हैं. इसलिए अब राजेंद्र राठौड़ के विरोध का कुछ ऐसी है चर्चा है.
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