राजस्थान (Rajasthan) की सियासत में कांग्रेस (Congress) नेता राजेश पायलट (Rajesh Pilot) का नाम आज भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. अपने काम के बलबूते कई बार सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे राजेश पायलट ने देश में अपनी छवि एक किसान नेता के रूप में बनाई. पायलट का पूरा परिवार सूबे की सियासत में सक्रिय और जन सेवा में समर्पित रहा है. शुक्रवर (10 फरवरी) राजेश पायलट की जयंती के मौके पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
घर-घर जाकर बेचते थे दूध
राजेश पायलट का वास्तविक नाम राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी था. पिता की मृत्यु के बाद वे दिल्ली के पॉश इलाकों में घर-घर जाकर दूध बेचने लगे. मवेशियों को चारा खिलाना, दूध निकालना और फिर इस दूध को बेचने घर-घर जाना उनका रोज का काम था. इस काम के साथ ही वे दिल्ली के अंग्रेजी मीडियम म्यूनिसिपल बोर्ड स्कूल में पढ़ाई भी करते थे. वर्ष 1974 में उन्होंने रमा पायलट से शादी की.
वायुसेना से सियासत का सफर
राजेश पायलट ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना की तरफ से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. देश सेवा के बाद उन्होंने जन सेवा करने के लिए वायु सेना से इस्तीफा देकर राजनीति में प्रवेश किया.
राजनीतिक जीवन
सचिन के पिता राजेश पायलट ने पहली बार 1980 में भरतपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और जीतकर सांसद बने. इसके बाद 1984 में दौसा से सांसद चुने गए. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया. उसके बाद 1991 से लेकर 1999 तक राजेश पायलट लगातार दौसा सीट से विजयी हुए. वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 के चुनाव में जीत हासिल कर राजेश पायलट 20 साल सांसद रहे.55 वर्ष की आयु में एक सड़क हादसे में उनका असामयिक निधन हो गया था.
पायलट परिवार का गढ़ दौसा
सूबे की सियासत में दौसा क्षेत्र पायलट परिवार का गढ़ कहा जाता है. सचिन पायलट की उम्र भले ही अन्य दिग्गज नेताओं से कम हो लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव सालों पुराना है. उन्होंने बाल्यकाल से ही अपने माता-पिता के साथ सियासी जगत में कदम बढ़ा दिए थे. आज अपनी पैतृक सियासी विरासत को बखूबी अंदाज में संभाल रहे हैं. सचिन पायलट दौसा लोकसभा सीट से ही पहली बार जीतकर सांसद बने थे. इसी लोकसभा क्षेत्र से उनकी मां रमा पायलट (Rama Pilot) भी सांसद चुनी गई थीं. यही वजह है कि यहां पायलट परिवार का राज है.पायलट के प्रति जनता का भरोसा है और उन्होंने आज तक उस भरोसे को कायम रखा है. वो जब भी अपने क्षेत्र में अपनों के बीच पहुंचते हैं तो स्वागत में सड़कों पर सैलाब आ जाता है. हाल ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी ऐसा देखने को मिला था.
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