Rajiv Gandhi Scholarship Scheme: राजस्थान (Rajasthan) में राजीव गांधी छात्रवृत्ति योजना का लाभ यूं तो कमजोर लोगों को देने का प्रावधान था और खुद उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव (Rajendra Yadav) भी यह कह चुके हैं कि पहले कमजोर लोगों का चयन किया जाएगा, लेकिन बावजूद इसके इस योजना के लाभार्थियों में आईएएस और आईपीएस समेत कई अन्य अधिकारियों के बच्चे शामिल हैं. यह जानकारी एक ताजा रिपोर्ट से सामने आई है. अब बीजेपी (BJP) ने भी इसको लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. 


सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व वाली सरकार ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर अकैडमी एक्सीलेंस योजना के तहत होनहार बच्चों को विदेश में पढ़ाने की सुविधा देनी शुरू की. सरकार ने विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और हार्वर्ड में पढ़ाई के लिए दो साल पहले ही इस योजना की शुरुआत की थी. हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि इसके तहत 30 प्रतिशत ऐसे बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं जिनके पिता अधिकारी हैं. दरअसल, इसकी मुख्य वजह यह है कि योजना के तहत लाभान्वितों के परिजन की सलाना आय की सीमा को आठ लाख रुपये की जगह 25 लाख रुपये कर दिया गया. ऐसे में अधिकारियों के बच्चे भी इस दायरे में आ गए और सेलेक्शन के बाद विदेश पढ़ने गए. 2023 में 245 बच्चों का चयन हुआ है जिनमें से 14 आईएएस और आईपीएस के बच्चे हैं और बाकी 59 बच्चों के पिता अलग-अलग विभागों में अधिकारी हैं.


25 लाख तक की आय वालों का आधा खर्च उठाती है सरकार
इस योजना के तहत सरकार बच्चों को तीन श्रेणी में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराती है और इसका निर्धारण आय के आधार पर होता है. 8 लाख तक की आय वालों के  सारे खर्च राजस्थान सरकार उठाती है जबकि जिनकी आय 8 से 25 लाख तक है उनके बच्चों के ट्यूशन फीस के अलावा 50 प्रतिशत तक का खर्च उठाया जाता है जबकि 25 लाख से अधिक आय वालों को सिर्फ ट्यूशन फीस का खर्च दिया जाता है जो कि 50 लाख रुपये है. उधर, जरूरतमंदों की जगह अधिकारियों के बच्चों को योजना का लाभ दिए जाने पर बीजेपी विधायक नरपत सिंह रिजवी ने सवाल उठाया है. उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में भी रखा है और उनका कहना है कि 70 से ज्यादा अधिकारियों के बच्चों का विदेश में पढ़ाई के लिए चयन किया गया है जिसकी जांच की जानी चाहिए.


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