Bikaner: पूर्व राजपरिवार की राजमाता सुशीला कुमारी का निधन, लंबे समय से थीं बीमार, सागर में होगा अंतिम संस्कार
Rajasthan News: शनिवार को उनकी पार्थिव देह को जूनागढ़ में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. राजमाता के निधन पर शहर में लोगों ने शोक संवेदना प्रगट की है. रविवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर (Bikaner) के पूर्व राजपरिवार की अंतिम महारानी और राजमाता सुशीला कुमारी (95) का शुक्रवार की देर रात लालगढ़ स्थित अपने आवास पर निधन हो गया. बीकानेर के पूर्व महाराजा डॉक्टर करणी सिंह की पत्नी व डूंगरपुर राजपरिवार (Dungarpur Raj Pariwar) की राजकुमारी राजमाता सुशीला (Rajmata Sushila Kumari) पिछले लंबे अरसे से अस्वस्थ चल रही थीं. पूर्व विधानसभा की विधायक सिद्धि कुमारी राजमाता सुशीला कुमारी की पौत्री हैं. राजमाता का अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा.
राजमाता के निधन पर लोगों ने व्यक्त किया शोक
शनिवार को उनकी पार्थिव देह को जूनागढ़ में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. राज परिवार के रीति रिवाज के अनुसार राजमाता सुशीला कुमारी का अंतिम संस्कार सागर गांव में स्थित राजपरिवार के श्मशान घाट पर किया जाएगा. राजमाता के निधन पर शहर में लोगों ने शोक संवेदना प्रगट की है.
1952-77 तक महारानी के पति रहे थे सांसद
बीकानेर के राजपरिवार की राजमाता सुशीला कुमारी का जन्म 1929 में डूंगरपुर के राज परिवार में हुआ था. राजमाता सुशीला कुमारी राजसिंह डूंगरपुर की बहन थी. उनका विवाह बीकानेर राजपरिवार में महाराजा डॉक्टर करणी सिंह से हुआ था. महाराजा डॉक्टर करणी सिंह 1952 से 1977 तक सांसद भी रहे थे, ऐसे में राजमाता सुशीला कुमारी ने लोकतंत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब उनकी पोती सिद्धि कुमारी बीकानेर पूर्व विधानसभा से पिछले तीन बार से विधायक हैं.
कई सालों से चल रही थीं बीमार
बीकानेर राजपरिवार की राजमाता सुशीला कुमारी पिछले कई सालों से अस्वस्थ थीं. उन्होंने आम लोगों से मिलना भी बंद कर दिया था. बीमार रहने व अस्वस्थता के बावजूद सामाजिक जिम्मेदारियां को जरूर पूरा करती थीं. बीकानेर के पुष्करणा समाज के सर्वे की अनुमति देना हो या फिर कोई अन्य राज्य परिवार कार्य हो सुशीला कुमारी अब तक खुद सभी से मिलती थीं.
पूरा बीकानेर बुलाता था उन्हें राजमाता
बीकानेर के पूर्व राजपरिवार की राजमाता सुशीलाकुमारी को 1950 में महारानी का सम्मान मिला था. देश की आजादी के बाद भी राजतंत्र की परंपरा निभाई जाती थी. साल 1950 में महाराजा सार्दुल सिंह के पुत्र राजकुमार डॉक्टर करणीसिंह का राज्य अभिषेक किया गया था. उसी समय सुशीला कुमारी को महारानी का सम्मान मिला था. साल 1971 में प्रिवी पर्स व्यवस्था समाप्त होने तक वो महारानी रहीं.
6 सितंबर 1988 को महाराजा डॉक्टर करणी सिंह का निधन हो गया था. उसके बाद उन्हें राजमाता के रूप में सभी ने स्वीकार किया. पूरे राज परिवार सहित बीकानेर में आम आदमी उन्हें राजमाता के रूप में ही संबोधित करता था.
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