Raksha Bandhan Date and Nakshatra 2022: इस बार रक्षाबंधन की तिथि और नक्षत्र को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है क्योंकि सावन की पूर्णिमा दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है. ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा खत्म होने के बाद पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का योग, गुरुवार को ही बन रहा है. इसलिए 11 अगस्त की रात में ही राखी बांधना चाहिए. रक्षाबंधन के लिए शास्त्रों में नियम के अनुसार सावन यानी श्रावण पूर्णिमा के दिन भद्रा के समय का त्याग करके राखी का पर्व मनाना चाहिए. आज सुबह 10:39 बजे से पूर्णिमा तिथि शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 7:6 बजे तक रहेगी.
गुरुवार सुबह 10: 39 से भद्रा भी लग रही है और समापन रात में 8 :52 बजे होगा. ऐसे में भद्रा समाप्त हो जाने पर रात 8:52 बजे के बाद राखी बांधी जा सकती है. 12 अगस्त को त्रिमुहूर्त व्यापनी पूर्णिमा नही होने से रक्षाबंधन पर्व 11 अगस्त को ही मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य अमित जैन का कहना है कि 11 अगस्त, गुरुवार को आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग रहेगा. साथ ही शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं. गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे. सितारों की ऐसी दुर्लभ स्थिति पिछले 200 सालों में नहीं बनी. इस महासंयोग में किया गया रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला रहेगा.
Bharatpur News: जानें- कौन थे रामचंद माथुर? 12 साल की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलने में कूद पड़े
तिथि, नक्षत्र और गुरुवार का शुभ संयोग
11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र के साथ ही गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है. ज्योतिष ग्रंथों में इस योग को खरीदारी का शुभ मुहूर्त बताया गया है. व्हीकल, प्रॉपर्टी, ज्वेलरी, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य की खरीदारी से लंबे समय तक फायदा मिलेगा. साथ ही किसी भी नई शुरुआत के लिए ये दिन बहुत अच्छा रहेगा. इस दिन जॉब जॉइन करना, बड़े लेन-देन या निवेश करना फायदेमंद रहेगा. श्रवण नक्षत्र होने से पूरा दिन व्हीकल खरीदारी के लिए बेहद शुभ होगा.
धर्मसिंधु में उल्लेख है कि भद्रायां द्वे न कर्तव्यम् श्रावणी फाल्गुनी वा। श्रावणी नृपतिं हन्ति,ग्रामों दहति फाल्गुनी। अर्थात भद्रा काल में दो त्योहार नहीं मनाने चाहिए. श्रावणी अर्थात रक्षाबंधन और फाल्गुनी अर्थात होली. भद्रा काल में रक्षाबंधन मनेगा तो राजा के लिए कष्टकारी है और होली दहन के समय भद्रा रहेगी तो प्रजा, ग्राम आदि के लिए हानिकारक है. भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में, जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए. कुछ लोगों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा पाताल में रहेगी. इसका धरती पर अशुभ असर नहीं होगा. इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन कर सकते हैं, लेकिन किसी भी ग्रंथ या पुराण में इस बात का जिक्र नहीं है. इसलिए भद्रा के वास पर विचार ना करते हुए इसे पूरी तरह बीत जाने पर ही राखी बांधना चाहिए. लेकिन कुछ विद्वानों का कहना है कि रक्षाबंधन और होली के समय को लेकर ग्रंथों में प्रदोष काल को सबसे अच्छा बताया गया है और भद्रा पुच्छ काल में भी राखी बांधना श्रेष्ठ माना जाता है.
राखी बांधने और श्रवण पूजन के मुहूर्त
भद्रा पुच्छ काल में शाम 5 बजकर 7 मिनट से 6 बजकर 19 मिनट तक 72 मिनट का मुहूर्त श्रवण पूजन और राखी बांधी जा सकेगी. रात 8.52 से 9.48 बजे तक ही राखी बांधना श्रेष्ठ होगा. ये 56 मिनट का मुहूर्त रहेगा यानी कुल मिलाकर 2 घटे 8 मिनट का मुहूर्त.
राखी बांधने का ये है मंत्र
येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेनत्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
उपरोक्त शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीघार्यु और समृद्धि की कामना करें तो निश्चित ही आशीर्वाद मिलेगा. नवग्रह उपायों के अंतर्गत जो व्यक्ति अपनी बहन, बुआ और बेटियों का सम्मान करता है, उनको समय-समय पर उपहार आदि देता है, उनका बुध बहुत अच्छा हो जाता है. उन्हें व्यापार, बिजनेस, नौकरी में निरंतर उन्नति होती रहती है.
Bundi News: बूंदी के इस गांव में आज भी रिटायर्ड फौजी करना चाहते हैं देश सेवा, हौसले नहीं हुए कम