Lalit Kishore Role in Ram Mandir Andolan: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसके लिए राजस्थान के कोटा में भी भव्य आयोजन होने वाला है. इस पल को यादगार बनाने के लिए लाखों लोग प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये दिन दिखाने के लिए लोगों के बलिदान को भी भुलाया नहीं जा सकता. इन बलिदानियों में एक नाम कोटा के ललित किशोर चतुर्वेदी का आता है जिन्होंने बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए अयोध्या जाने के लिए अपना पद छोड़ दिया था और श्रीराम काज में लग गए थे.


ललित किशोर चतुर्वेदी के पुत्र डॉ. लोकेश चतुर्वेदी बताते हैं कि आज उनके पिता भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका बलिदान सदा याद किया जाता रहेगा. 


‘कार सेवा या मंत्री पद में से एक चुनना था’ 
डॉ. लोकेश चतुर्वेदी ने बताया कि 34 साल पहले उनके पिता प्रदेश के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे. संगठन और समाज में उनकी अच्छी पैंठ थी. कार सेवा शुरू हुई तो पूरे देश में राम मंदिर बनने का माहौल था, लोग अध्योध्या पहुंच रहे थे. ऐसे में रामलला की लहर कोटा में भी थी, कोटा हमेशा से ही जनसंघ, आरएसएस और बीजेपी का गढ रहा है, ऐसे में यहां लोगों के हृदय में भक्तिभाव हिलोरे ले रहा था. राजस्थान में 1990 में भैरोंसिंह शेखावत की सरकार थी, ललित किशोर चतुर्वेदी उस समय कैबिनेट मंत्री थे.


भैरोंसिंह शेखावत से जब उन्होंने कहा कि वह अयोध्या जा रहे हैं, तो शेखावत ने कहा आपके पास संवैधानिक पद हैं. आप पद पर रहते हुए नहीं जा सकते, फिर क्या था, एक क्षण भी नहीं सोचा और मंत्रीपद त्याग कर अयोध्या जाने का निर्णय लिया. उनके इस त्याग को देखते हुए भैरोंसिंह शेखावत उन्हें स्टेशन तक छोड़ने गए और कहा कि इतना बडा त्याग कोई नहीं कर सकता. 


सरकारी नौकरी का भी कर दिया था बलिदान 
प्रोफेसर ललित किशोर चतुर्वेदी का देहांत 9 साल पहले हो चुका है. उनके बेटे डॉ. लोकेश चतुर्वेदी भी भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय पदाधिकारी हैं और कई सालों से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या जाने के लिए ही नहीं उन्होंने पार्टी के लिए भी कई बार त्याग किया है. जनसंघ में काम करने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी का भी बलिदान कर दिया था. चतुर्वेदी ने 1954 से 1966 तक सरकारी नौकरी की थी.


हालांकि, वो इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम भी करते थे. इसलिए उनका जगह-जगह पर स्थानांतरण होता रहा. 1966 में चतुर्वेदी भरतपुर में फिजिक्स के लेक्चरर के रूप में पोस्टेड थे. इस दौरान उन्हें जनसंघ के तत्कालीन राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुंदर सिंह भंडारी ने बुलाया और कहा कि वह राजस्थान में जनसंघ की कमान को संभाल लें, क्योंकि वहां संगठन कमजोर है. इसके लिए ललित किशोर तुरंत तैयार हो गए और फिजिक्स लेक्चर पद से इस्तीफा देकर संगठन के कार्य में जुट गए. 


‘ललित किशोर चतुर्वेदी ने 25 साल तक किया कोटा का प्रतिनिधित्व’
ललित किशोर चतुर्वेदी जनसंघ में राजस्थान के संगठन मंत्री बन गए और पूरे राजस्थान में उन्होंने संगठन का काम फैलाया. यहां तक कि वो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वो 25 सालों तक कोटा का प्रतिनिधित्व करते रहे. वे प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी बने थे. 


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