Bharatpur News: देश में रमजान का माह शुरू हो गया है. मुस्लिम समाज में रमजान के महीने को पवित्र माना जाता है. इसे देखते हुए राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित सेंट्रल जेल सेवर में रोजा रखने वालों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है. सेन्ट्रल जेल में मुस्लिम कैदियों के लिए सुबह लगभग ढाई बजे उठकर खाना बनाया जाता है, जिससे मुस्लिम कैदी सहरी कर सकें और शाम को भी उनके खाने- पीने का जो भी सामान होता है जैसे खजूर, केले आदि बाजार से लेकर दिया जाता है, जिससे मुस्लिम कैदी इफ्तार करते हैं. रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के कैदी भी पूरे दिन रोजे रख रहे हैं और नमाज अता कर रहे हैं.
रमजान का चांद दिखने के साथ ही रमजान का महीना शुरू हो गया है. रमजान 30 दिन का होता है. रमजान के महीना में मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्य निकलने से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाते नहीं है और न ही कुछ पीते है. सुबह 4 बजे जागकर जो कुछ भी खाना पीना है, खा लेते हैं. उसे सहरी नाम से जाना जाता है. सूरज निकलने से पहले ही फज्र की अजान होती है. फिर दिनभर कुछ नहीं खाते हैं.
अपना अधिक समय अल्लाह की इबादत में ही बिताते हैं. शाम को सूरज ढलने के बाद मगरिब की अजान होने के बाद रोजा खोला जाता है. मस्जिद में विशेष नमाज अता की जाती है. उसके बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है. इसे इफ्तार कहा जाता है .सुबह सहरी से पहले और शाम को इफ्तार के बाद ही कुछ खा पी सकते हैं. भरतपुर की सेंट्रल जेल में लगभग 50 मुस्लिम कैदी रोजा रख रहे हैं. जेल विभाग की ओर से सभी के लिए 4 बजे से पहले खाना तैयार किया जाता है और शाम को बाजार से सामान लेकर दिया जाता है.
क्या कहना है जेल अधीक्षक का
भरतपुर की सेवर सेंट्रल जेल के अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि रमजान के महीने में मुस्लिम कैदियों के लिए रोजा रखने का पूरा इंतजाम जेल प्रशासन की ओर से किया जा रहा है .सुबह ढाई बजे उठकर इनके लिए खाना तैयार किया जाता है. सहरी के लिए और शाम को इफ्तार के समय बाजार से सामान जो भी यह लोग खाकर रोजा खोलते हैं, लेकर दिया जाता है.जेल में लगभग 50 मुस्लिम कैदी रोजा रख रहे है. दो मुस्लिम महिला कैदी भी रोजा रख रही हैं, उनके लिए भी पूरा इंतजाम किया गया है. रोजा रखने वाले कैदियों किसी बात की परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है.
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