जंगल का राजा टाइगर कोटा में आया तो सही लेकिन ज्यादा समय तक कोटा के जंगल की आबो हवा में वह रह नहीं सका और एक के बाद एक कई टाइगर की मौत हो गई. 10 साल से मुकुंदरा टाइगर रिजर्व संघर्ष कर रहा है वहीं दूसरी और बूंदी के रामगढ़ सेंचुरी को महज एक वर्ष हुआ है और वहां जंगल सफारी शुरू हो चुकी हैं, जिसकी ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू होगी. मुकुंदरा से ज्यादा वहां पर बाघ-बाघिन की मांग नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) से की जा रही है.


 एक जोड़ा है और दो टाइग्रेस लाने की तैयारी 


वन्य जीव प्रेमी डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि रामगढ़ में अधिकारियों ने लगातार मेहनत की है.मुकुंदरा रिजर्व बनने के 5 साल बाद 2018 में यहां पर टाइग्रेस इंट्रोड्यूस किया गया था, जबकि रामगढ़ में रिजर्व बनने के कुछ महीनों में ही जोड़ा बना दिया गया था. जंगल सफारी भी मुकुंदरा में शुरू नहीं हो पाई है, जबकि रामगढ़ में सफारी भी शुरू हो गई है. मुकुंदरा में केवल एक मेल टाइगर वर्तमान में है, जबकि रामगढ़ में एक जोड़ा है, उससे भी खुशखबरी की उम्मीद है.


रामगढ़ विषधारी एक साल में ही आबाद हुआ है, उसके बाद लगातार यहां प्रयास किए जा रहे हैं और रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व को दो और मादा टाइगर लाने की तैयारी है, जिसे कभी भी शिफ्ट किया जा सकता है.


बाघिन की मौत के बाद मुकुंदरा में टाइगर अकेला


मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 2018 में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से पहली बार टाइगर शिफ्ट किया. यह बाघ बूंदी के तत्कालीन रामगढ़ विषधारी सेंचुरी और वर्तमान के टाइगर रिजर्व में घूम रहा था. इसके बाद दो बाघिन को भी लाया गया. बाद में रणथम्भौर से एक टाइगर निकलता हुआ कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में पहुंच गया था.


यह चंबल नदी की कराईयों के सहारे सुल्तानपुर, दीगोद और कालीसिंध से होता हुआ आया था. मुकुंदरा में बाघ और बाघिन के दो जोड़े बन गए थे. एमटी 2 बाघिन ने दो शावकों को भी जन्म दिया लेकिन यह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहे. अब बाघिन की भी मौत हो गई है. ऐसे में कोटा मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ अकेला ही जंगल में घूम रहा है. 


रणथम्भौर की एक बाघिन की मौत पर उसके दो शावक कोटा में


मुकुंदरा में वर्तमान में एक ही मेल टाइगर है. एक टाइग्रेस के लिए एनटीसीए से अनुमति मांगी है. लेकिन अभी आदेश जारी नहीं हुआ है. चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के आदेश आने के बाद ही कंफर्म होगा कि टाइग्रेस रणथम्भौर से कब आएगी. वर्तमान में जो टाइगर है, उस पर निगरानी रखी जा रही है.


रणथम्भौर में एक बाघिन की मौत हो गई थी, उसके दो बच्चों को कोटा में अभेडा महल बायलॉजिकल पार्क में रखा गया है. इन्हें कब जंगल में छोडेंगे इसकी भी कोई प्लानिंग अभी तक नहीं हुई है.


शावक करीब 6 महीने के हो गए हैं और फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उनकी निगरानी के लिए भी चिकित्सक रखे हुए हैं और उन्हें जंगल का माहौल दिया जा रहा है. लेकिन पूरी तरह कोटा संभाग के दोनो ही टाइगर रिजर्व कब आबाद होंगे यह यहां के पर्यटकों, आमजन व पर्यावरण, वन्यजीव प्रेमियों के लिए उत्सुकता का विषय बना रहता है. 


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