(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Udaipur: क्या हर मां का दूध एक जैसा होता है? उदयपुर में पहली बार रिसर्च से मिला जवाब
डॉ ऋत्विक ज्यानी ने बताया कि उदयपुर के आरएनटी में दुग्ध दान सेंटर बना है. सेंटर में कई मां जरूरतमंद बच्चों के लिए दूध का दान करती हैं. ऐसे में 100 महिलाओं का दूध रिसर्च के लिए लिया गया.
मां का दूध (Mother Milk) बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है. ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) कराने से बच्चे को सभी पोशक तत्व (Nutricians) मिलते हैं. बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास में ब्रेस्टफीडिंग बेहद जरूरी है. लेकिन क्या हर मां का दूध एक जैसा होता है या फिर उसमें कोई अंतर रहता है. इसी सवाल का जवाब जानने के लिए उदयपुर (Udaipur) में रिसर्च किया गया. रिसर्च से खुलासा हुआ कि किसी भी मां के दूध में कोई फर्क नहीं आता. रविंद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज (Ravindra Nath Tagore Medical College) की डॉक्टर ऋत्विक ज्यानी ने बताया कि 100 महिलाओं के दूध पर रिसर्च किया गया था. रिसर्च के दौरान किसी भी मां के दूध में अंतर नहीं मिला. हालांकि विदेशों में हुआ रिसर्च बिल्कुल अलग है.
कुपोषित महिलाओं के दूध में फैट की कमी
डॉ ऋत्विक ज्यानी ने एबीपी न्यूज को बताया कि उदयपुर के आरएनटी में दुग्ध दान सेंटर बना है. सेंटर में कई मां जरूरतमंद बच्चों के लिए दूध का दान करती हैं. ऐसे में 100 महिलाओं का दूध रिसर्च के लिए लिया गया. दूध 60 प्रतिशत ग्रामीण और 60 प्रतिशत शहरी महिलाओं का था. महिलाओं में भी 49 प्रतिशत शिक्षित और 51 प्रतिशत अशिक्षित थीं. अशिक्षित महिलाओं में कुछ कुपोषित थीं. हर महिला के दूध का 50 एमएल सैंपल लिया गया. प्रोटीन, लेक्टोज, फैट, सॉलिड नॉन फैट और मिनरल्स की जांच की गई. जांच से पता चला कि सिर्फ कुपोषित महिलाओं में कुछ फैट की कमी पाई गई लेकिन इससे नवजातों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. 100 एमएल दूध में 3 ग्राम फैट की मात्रा होनी चाहिए. पोषित महिलाओं में 3.48 ग्राम और कुपोषित में 2.9 ग्राम फैट मिला. यानी यह कह सकते हैं कि पोषित और कुपोषित महिलाओं के दूध में समानता पाई. जबकि विदेशों में इसी विषय पर हुए रिसर्च से अंतर मिला.
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किसी भी मां का दूध पिलाया जा सकता है
डॉ. ऋत्विका ने बताया कि 6 माह तक के बच्चे को मां का दूध जरूरी है. किसी कारणवश मां को दूध नहीं आने पर नवजात को अन्य महिला का दूध पिलाना चाहिए. मां के दूध से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास होता है. शुरुआती छह महीने ब्रेस्टफीडिंग जीवनभर बीमारियों से बचाती है और बच्चा दिमागी रूप से भी मजबूत होता है. उनकी सलाह है कि पशुओं और बाजार में मिलने वाला सॉलिड दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए. बच्चे को छह माह के बाद ही अन्य आहार दिया जाना चाहिए.