Rajasthan News: राजस्थान में कोरोना महामारी का साइड इफेक्ट अभी भी जारी है. निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर बकाया फीस वसूली के लिए दबाव बनाने की खबर आ रही है. बच्चों को परीक्षा में नहीं बैठने देने और शिक्षा से वंचित करने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं. अब राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग (Rajasthan State Child Rights Protection Commission) ने शिकायतों का संज्ञान लिया है. शिकायतों की जांच और स्कूलों को चिह्नित करने के लिए कमेटी बनाने का एलान किया गया है.
'निजी स्कूलों की मनमानी और तानाशाही नहीं चलेगी'
राजस्थान बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल (Sangeeta Beniwal) ने कहा है कि निजी स्कूलों की मनमानी और तानाशाही पर नकेल जल्द कसी जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि बच्चों को टीसी नहीं देनेवाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. कोरोना वायरस के संक्रमण से फैली महामारी का दर्द आज दिन तक कोई भूल नहीं पाया है. लोगों के जीवन पर कोरोना वायरस का संक्रमण कहर बनकर टूट पड़ा था.
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने दिया कार्रवाई का भरोसा
लॉकडाउन की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह प्रभावित हो गई थी. ऐसे में आम आदमी को प्राइवेट स्कूलों की महंगी शिक्षा की जगह सरकारी स्कूलों की मुफ्त शिक्षा रास आ रही है. कोरोना काल में लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के साथ आमदनी भी घटी. निजी स्कूल बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने लगे. कोरोना काल में अभिभावक निजी स्कूलों की फीस जमा नहीं करवा पाए. अब बकाया फीस की वसूली के लिए निजी स्कूल बच्चों पर दबाव बना रहे हैं. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई काम किए हैं. हिंदी मीडियम स्कूल को अंग्रेजी मीडियम बनाया गया है.
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