Rajasthan News: सात साल से नहीं बढ़ा रोडवेज बसों का किराया, भारी घाटे से जूझ रहा राजस्थान परिवहन विभाग
RSRTC: परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला ने बताया कि घाटे की वजह से राजस्थान परिवहन निगम के रिटायार्ड अधिकारियों और कर्मचारियों को उनका 65.18 करोड़ का फंड भी जारी नहीं किया गया है.
Rajasthan Roadways Bus: राजस्थान में सरकारी बसों का किराया बढ़ाए हुए कुल सात साल हो गए हैं. किराया नहीं बढ़ाने की वजह से राज्य का रोडवेज विभाग (Rajasthan Roadways) घाटे में चल रहा है. हैरानी की बात ये है कि घाटे के बावजूद किराए में वृद्धि नहीं की जा रही है, जबकि पिछले साल जून में जयपुर से दिल्ली को जाने वाली लग्जरी बसों का किराया 30 फीसदी बढ़ाया गया था.
राजस्थान परिवहन विभाग के वित्त विभाग में वित्तीय सलाहकार राम गोपाल पारीक ने बताया कि साल 2016 में आखिरी बार राजस्थान की सरकारी बसों का किराया बढ़ाया गया था. उसके बाद से वही किराया चला आ रहा है जबकि परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला ने सदन को बताया है कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के रिटायार्ड अधिकारियों और कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभ का कुल 65.18 करोड़ फंड सरकार पर बकाया है, घाटे की वजह से यह फंड जारी नहीं किया गया है.
कब और कितना बढ़ा था बस का किराया
वर्ष 2016 में राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम ने साधारण, दूरगामी, नॉन ऐसी सेमी डीलक्स बसों के किराए में मात्र 5 से 7 पैसे ही वृद्धि की थी. पहले साधारण सेवा का किराया 70 पैसे प्रति किमी था जिसे बढ़ाकर 75 पैसे किया गया था. दूरगामी एक्सप्रेस बस का किराया 75 पैसे से 80 पैसे प्रति किमी किया गया था. वहीं, सेमी डीलक्स नॉन ऐसी बसों का किराया 83 पैसे की जगह 90 पैसे प्रति किमी कर दिया गया था.
इसके साथ ही निगम ने लग्जरी और सुपर डीलक्स बसों में 5 रुपए, वातानुकूलित बसों में 4 रुपए, सेमी डीलक्स गांधी रथ स्लीपर नॉन एसी में 3 रुपए, द्रुतगामी बसों में 2 रुपए प्रति टिकट आईटी शुल्क भी लगाया था. साधारण / उपनगरीय एवं ग्रामीण बसों, द्रुतगामी बसों में 50 किमी तक और अन्तरराज्यीय क्षेत्र में आईटी शुल्क नहीं लागू किया गया था. पिछले साल दिल्ली से जयपुर की बसों के किराये में 30 प्रतिशत वृद्धि की गई थी.
घाटे के बाद भी नहीं बढ़ा किराया
पिछले दिनों जब सदन में खुद परिवहन मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला ने कहा कि रोडवेज पहले भी घाटे में थी और अभी भी घाटे में है. जनता को परेशानी न हो इसलिए बेहतर बसें चलाई जा रहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार से ज्यादा इस सरकार ने निगम को अनुदान दिया है. विभाग के पास फंड न होने से कई बार इसे मुद्दा भी बनाया गया है.
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