RTH Bill: आरटीएच बिल को लेकर चिकित्सकों का आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है. बिल के विरोध में आए दिन चिकित्सकों द्वारा प्रदर्शन और धरना दिया जा रहा है, रैलियां निकाली जा रही हैं. रविवार को आरटीएच बिल के विरोध में डॉक्टरों ने चौराहे पर ठेला नींबू पानी और पानी पुरी का ठेला लगाया. यह नजारा देखकर कई लोग हैरान रह गए कि गले में स्टेथोस्कॉप पहने हुए डॉक्टर्स को क्या हो गया है.


शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित व्यास ने नीबू पानी का ठेला लगाया और कहा कि यदि आरटीएच लागू हुआ तो डॉक्टर्स की यही स्थिति होने वाली है. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन के माध्यम से हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि आरटीएच को वापस लो नहीं तो आंदोलन और उग्र होता चला जाएगा.


'सभी के लिए नुकसानदायक है आरटीएच बिल'


नीबू पानी और गन्ने का रस बेचते हुए डॉक्टरों ने कहा कि एक ठेले पर जो वस्तु बेची जा रही हैं उस पर वही मिलती हैं, लेकिन सरकार एक ही जगह पर अनेक व्यवस्थाएं चाहती है तो कैसे हो सकती है. ठेला लगाने वाले डॉ. अमित व्यास के पास कुछ नर्सिंग कर्मी पहुंचे और कहने लगे हमें गन्ने का रस दे दीजिए, लेकिन उन्होंने कहा कि यहां तो नीबू पानी है, लेकिन नर्सिंग स्टॉफ ने कहा कि आप ही हमें वहां से लाकर दो या हमें वहीं पहुंचाने की व्यवस्था करो.


चिकित्सकों ने कहा कि यही आरटीएच बिल का नियम है कि आपके पास कुछ हो ना हो व्यवस्था करनी होगी जो एक चिकित्सक कहां से करेगा. उन्होंने कहा कि आरटीएच बिल आने के बाद अस्पताल तो बंद होने ही हैं, हम नीबू पानी बेचकर काम चला लेंगे. उन्होंने कहा कि हम बिल वापस नहीं होने तक रोज ठेला लगाएंगे. चिकित्सकों ने कहा कि आरटीएच बिल चिकित्सकों के लिए तो नुकसानदायक है ही आमजन व मरीजों के लिए भी नुकसान दायक है.


'जारी रहेगा विरोध, उग्र होगा आंदोलन'


डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि हम 9 दिन से शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं, सरकार से हमारा प्रतिनिधिमंडल मिला था, लेकिन वार्ता सफल नहीं हो सकी. हमारी एक ही मांग है कि आरटीएच बिल वापस लिया जाए. डॉ. जायसवाल ने कहा कि हम शहर की जनता व स्वयंसेवी संस्थाओं से भी संवाद कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि ये बिल कितना नुकसानदायक है. ये बिल केवल चुनाव को देखकर लाया गया है. यदि बिल इतना ही लाभकारी होता तो चार साल पहले लाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि बिल वापस होने तक डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहेगा.


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