Russia-Ukraine War के बीच जानें आखिर MBBS की पढ़ाई करने यूक्रेन क्यों जाते हैं छात्र, ये हैं 2 बड़ी वजह
MBBS in Ukraine: आखिर देश के छात्र विदेश में जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने को क्यों मजबूर होते हैं. कोरोना के बाद ज्यादातर छात्र यूक्रेन ही गए हैं. जानें इसके पीछे का कारण क्या है.
Russia-Ukraine War: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच युद्ध जारी है. राजस्थान (Rajasthan) सहित देशभर के छात्र जो एमबीबीएस (MBBS) करने गए यूक्रेन गए थो वो वहां फंसे हुए हैं. हालांकि, सरकार लगातार छात्रों को यूक्रेन निकालने के लिए प्रयास कर रही ही. इस बीच सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर देश के छात्र विदेश में जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने को क्यों मजबूर हुए. क्या देश में एमबीबीएस से जुड़ी व्यवस्था नहीं है, क्या देश में ज्यादा और विदेश में कम फीस लगती है. इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज ने राजस्थान के भीलवाड़ा में रहने वाले मेडिकल एडमिशन काउंसलर अतुल बापना (Atul Bapna) से बात की. बातचीत में क्या निकलकर सामने आया आप भी जानें.
सीटें कम और छात्र हैं ज्यादा
अतुल बापना ने बताया कि देश में आजादी के बाद भी अजीब स्थिति बनी हुई है. पिछले साल देशभर में 16 लाख बच्चों ने नीट की परीक्षा दी. हालात ये हैं कि देश में कुल 549 कॉलेज हैं जिसमें 78333 सीटें हैं. जिसमें 272 सरकारी मेडिकल कॉलेज में 41388 और 260 निजी मेडिकल कॉलेज में 35540 सीटें है. साथ ही 15 एम्स और 2 जीपमेयर कॉलेज में 1405 सीटें है. अब तुलना कर सकते हैं कि कहां 16 लाख बच्चे और कहां मात्रा 78333 सीटें. यही नहीं राजस्थान की बात करें तो 16 सरकारी कॉलेज में 2900 और 9 निजी कॉलेज में 1900 सीटें है.
यूक्रेन में है कम फीस
अतुल बापना ने बताया कि दूसरा महत्वपूर्ण प्वाइंट है फीस. देश के सरकारी कॉलेज की बात करें तो 5000- 50000 एक साल की फीस में एमबीबीएस हो जाती है लेकिन यहां उच्च रैंक हासिल करने वाले बच्चे ही जा पाते हैं. वहीं देश के निजी कॉलेज की बात करें तो 5-25 लाख रुपए एक साल के लगते हैं. राजस्थान के कॉलेज में 15 लाख रुपए से कम फीस नहीं है. वहीं यूक्रेन की बात करें तो वहां रहने-खाने और फीस की पूरी पढ़ाई 25 से 35 लाख रुपए में हो जाती है.
अन्य देशों में भी जाते हैं छात्र
अतुल बापना ने बताया कि यही 2 कारण हैं जिसकी वजह से छात्र विदेश जाते हैं. इसमें भी सबसे पहली प्राथमिकता चीन, फिर रशिया और फिर यूक्रेन की होती है. कोरोना के बाद ज्यादातर छात्र यूक्रेन ही गए हैं. इसके अलावा किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान भी जाते हैं.
ये है बड़ा सवाल
अतुल बापना ने इस दौरान एक सवाल भी उठाया, उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार छात्रों को लाने के लिए अथक प्रयास कर रही है, उम्मीद है कि सभी छात्र सुरक्षित देश लौट आएंगे लेकिन सवाल देश में आने के बाद क्या होगा. सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए कि यहां आने के बाद उनको मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिया जाए.
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