Russia-Ukraine War: राजस्थान लौटी छात्रा ने बताया हाल, कहा सीनियर निभा रहे फर्ज, पराए देश में अपने ही कर रहे अपनों की मदद
Udaipur News: यूक्रेन से लौटी छात्रा भार्गवी ने बताया कि यूक्रेन में हालात काफी खराब हैं. यूक्रेनी मदद तो कर रहे हैं लेकिन पहले अपनी सोच रहे हैं. सीनियर अपना फर्ज निभा रहे हैं.
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को पांच दिन हो चुके हैं और अब तक हालात वैसे ही बने हुए हैं. जगह-जगह बॉम्बिंग हो रही है. लेकिन इन सबके बीच एक सुकून देने वाली खबर भी सामने आई है. रोमानिया (Romania) बॉर्डर में जो भी भारतीय छात्र फंसे हुए हैं उन्हें खाने-पाने के साथ-साथ गरम कपड़ों की सहायता भी दी जा रही है. ये बात यूक्रेन (Ukraine) से रोमानिया होते हुए रविवार को राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) अपने शहर लौटी छात्रा भार्गवी वशिष्ठ ने एबीपी न्यूज से कही. भार्गवी ने बताया कि यूक्रेन में हालात काफी खराब हैं. यूक्रेनी मदद तो कर रहे हैं लेकिन पहले अपनी सोच रहे हैं. रोमानिया बॉर्डर पर हजारों की संख्या में यूक्रेनी और भारतीय छात्र हैं.
रोमानिया बॉर्डर पहुंचे
भार्गवी ने बताया कि वो बुकोविन्स मेडिकल यूनिवर्सिटी में थर्ड ईयर में पढ़ रही है. ये रोमानिया बॉर्डर से ज्यादा दूर नहीं है. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद रोमानिया बॉर्डर पहुंचे.
सीनियर अपना फर्ज निभा रहे हैं
भार्गवी ने बताया कि वहां अलग-अलग स्लॉट में छात्रों को बॉर्डर क्रॉस करवाकर रोमानिया पहुंचाया जा रहा था. बॉर्डर पर पहुंचने के बाद ठंड बढ़ी और खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी. हमारे सीनियर जो भारतीय हैं वो मदद कर रहे हैं.
खाना सीनियर ही खिला रहे हैं
हमारे लिए सीनियर हॉस्टल गए और जो मेस में खाना बनाने वाले स्टाफ थे उनसे रिक्वेस्ट की. फिर वो खाने और पानी की व्यवस्था कर लाए और हमें खाना दिया. मैं तो वहां से आ गई लेकिन जो छात्र रुके हुए हैं उनको भी सुबह शाम का खाना सीनियर ही खिला रहे हैं.
मां ने बताई ये बात
भार्गवी की माता इंदु वशिष्ठ ने बताया कि भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेज को छोड़ें तो निजी मेडिकल कॉलेज में 1 करोड़ रुपए तक लग जाते है एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए. लेकिन यूक्रेन में 14 लाख रुपए में ही हो रही है. इसी कारण बेटी को यूक्रेन भेजा.
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