जयपुर: सदगुरु श्री रितेश्वर (SADGURU SRI RITESHWAR jee) ने कहा है कि हमारा राष्ट्र संविधान से चलता है. संविधान के दिए हुए प्रस्तावना में बहुत सारी चीजें 75 साल बाद भी लागू नहीं की गई हैं.वे चीजें अब लागू होनी चाहिए.उन्होंने कहा कि 500 साल बाद कोर्ट के माध्यम से अयोध्या में राम का मंदिर मिला.काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण से धर्म ही नहीं बल्कि अर्थ का भी विकास हुआ है.मेरा मानना है कि काशी कॉरिडोर बनने से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे हैं.धर्म के विकास में ही भारत का सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक विकास शामिल है. मंगलवार को जयपुर के एक कार्यक्रम में आए सदगुरु श्री रितेश्वर ने एक विशेष इंटरव्यू में बताया कि वृन्दावन में कॉरिडोर बनने वाला है, उससे भी ज्यादा जरूरी है श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा का पुनरुत्थान.वहां पर खुदाई होगी तो यह पूरा विश्वास है कि जो भी कुछ निकलेगा भगवान श्रीकृष्ण के अवशेष निकलेंगे और कुछ नहीं.क्योंकि वो पूरा परिसर ही भगवान कृष्ण का है.


मुगलों के नाम से मिले आजादी 


सदगुरु श्री रितेश्वर ने कहा कि राजस्थान के जयपुर में अल्बर्ट हॉल के नाम को बदलना जरूरी है.राजस्थान में पुर्तगाल, डच और मुगलों के नाम पर जो भी चीजें हैं उनका नाम बदलना जरूरी है.बाबा साहेब अंबडेकर,महाराणा प्रताप के नाम पर रखना चाहिए.अब समय आ गया है कि सभी नामों को अपने वीरों के नाम पर रखना होगा.भारत की सरकार और सभी राज्यों की सरकारों एक साथ मिलकर सभी मुगलों,डचों और अंग्रेजों के नाम को बदल देना चाहिए. राजस्थान में वीरों की कमी नहीं है. सनातन संस्कृति के वीरों और योद्धाओं के नाम पर होना चाहिए.


कॉरिडोर से धर्म के साथ अर्थ भी बढ़ेगा


सदगुरु श्री रितेश्वर ने कहा कि 500 साल के बाद राम मंदिर हमें मिला वह भी कोर्ट के माध्यम से संभव हुआ.काशी विश्वनाथ कॉरिडोर या अन्य कॉरिडोर के बनने से केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आर्थिक विकास भी हो रहा है.राजस्थान में भी कॉरिडोर बनने से यहां की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी.कॉरिडोर कोई राजनीति नहीं है.जो चीजें सनातन संस्कृति की विखंडित की गई हैं उसके लिए सभ्य समाज का नियम होता है कि समय आने पर उन चीजों  पुननिर्माण कर दिया जाए.राजस्थान में भी इसपर काम होना चाहिए.अब समय आ गया है कि राजस्थान के सांस्कृतिक धरोहरों का पुनरुथान होना चाहिए. 


फिल्मों में अब मनमानी नहीं


सदगुरु श्री रितेश्वर ने कहा धर्मांतरण के मुद्दे कुछ इस तरीके से लोभ के माध्यम से परिवर्तन होना कोई बड़ी बात नहीं है.फिल्मों में तिलक के ऊपर काम किया गया. हमारी संस्कृति को समाप्त किया गया.अब पृथ्वीराज चौहान पर फिल्में बन रही हैं.फिल्में किसी गलत नरेटिव को सेट करने के लिए नहीं बनेंगी और न ही एजेंडा या प्रोपेगेंडा के लिए बनेंगी.अब सब कुछ देश और राष्ट्रवाद के लिए होगा.


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